नई दिल्ली. ओडिशा रेल हादसे ने सभी को अंदर से हिलाकर रख दिया है. रेलवे के एक अधिकारी ने फरवरी में ही इंटरलॉकिंग सिस्टम में गड़बड़ी की चेतावनी दे दी थी. गड़बड़ी की एक घटना भी सामने आई थी. अधिकारी ने इसे लेकर एक पत्र लिखकर चेतावनी दी थी. अभी शुरुआती जांच में हादसे का कारण इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में गड़बड़ी बताया गया है. आपको जानकार हैरानी होगी कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में पहले भी लगातार गड़बडिय़ां सामने आई हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आटोमैटिक कहे जाने वाले रेलवे के इंटरलॉकिंग सिग्नल सिस्टम में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आ रही है. रेलवे के इंटीग्रेटेड कोचिंग मैनेजमेंट सिस्टम (आईसीएमएस) पर सिग्नल फेल होने के जो आंकड़े सामने आए हैं वह चौंकाने वाले हैं.
51 हजार से अधिक बार फेल हुए सिग्नल
आंकड़ों के मुताबिक, बीते साल भर में 51 हजार 238 बार सिग्नल फेल हुए हैं. अकेले अप्रैल माह में देश के सभी 17 जोन के रेलखंडों पर 4506 सिग्नल फेल होने की घटनाएं सामने आई हैं. नए बने डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर जहां अप्रैल माह में 374 सिग्नल फेल हुए. वहीं लखनऊ, मुरादाबाद, दिल्ली, अंबाला और फिरोजपुर रेल मंडल वाले उत्तर रेलवे में सबसे ज्यादा 1127 सिग्नल फेल हुए हैं. इनमें से पांच जोन को रेड जोन में रखा गया है. रेल मंत्रालय हर माह जोनवार रिपोर्ट बनाता है.
देशभर में सिग्नल का यह रहा हाल
रिपोर्ट के मुताबिक, एक वर्ष में पूरे देश में फेल होने वाले सिग्नल के आंकड़े देखकर आप चौंक जाएंगे. साल 2022 की मई में 5016, जून में 4754, जुलाई में 5204, अगस्त में 4346, सितंबर में 4548, अक्टूबर में 4340, नवंबर में 3900, दिसंबर में 3925, साल 2023 की जनवरी में 3605, फरवरी में 3181, मार्च में 3914 और अप्रैल में 4506 बार सिग्नल फेल हुए हैं. हर महीने रेलवे के सिग्नल फेल होने की घटना सामने आ रही है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-ओडिशा: नुआपाड़ा में दुर्ग-पुरी एक्सप्रेस के कोच में लगी आग, कोई हताहत नहीं
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