नई दिल्ली. समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर सोमवार को संसदीय समिति की बैठक हुई. अब तक 19 लाख लोग समिति को इस संबंध में अपने सुझाव भेज चुके हैं. बैठक के दौरान कुछ सदस्यों ने सरकार पर आरोप लगाए कि जल्दबाजी में इसे लाया जा रहा है. समिति के कुछ सदस्यों का कहना था कि सिर्फ एक फैमिली लॉ नहीं बनाया जाना चाहिए. यह समाज के हर धर्म, जाति, समुदाय से जुड़ा हुआ मामला है. लिहाजा इसको ध्यान में रखना जरूरी है. बताया गया कि इस मुद्दे पर समिति अभी कोई फैसला या आदेश नहीं दे रही है. फिलहाल यूसीसी पर चर्चा के माध्यम से यह जानने की कोशिश की जा रही है कि क्या कुछ किया जा सकता है.
एक सदस्य ने सिख समुदाय के लोगों का जिक्र करते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता से सिखों की शादी के लिए आनंद मैरिज एक्ट पर भी असर पड़ेगा. बैठक के दौरान शिवसेना, बसपा और टीआरएस ने समान नागरिक संहिता का विरोध किया. यूसीसी के संबंध में ऐसे सुझाव भी आए हैं कि नई व्यवस्था में आदिवासी समुदाय पर इसका असर ना पड़े. खासतौर पर पूर्वोत्तर राज्यों में. संसदीय स्थाई समिति (कानून एवं न्याय) की बैठक में कांग्रेस नेता विवेक तनखा ने कुछ बिंदुओं पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि लॉ कमीशन ने खुद ही माना कि यह जरूरी नही, फिर लॉ कमीशन को सुनने का फायदा क्या है?
यह लोग समिति के सदस्यों में हैं शामिल
दरअसल समान नागरिक संहिता पर साल 2018 में लॉ कमीशन का कंसलटेटिव पेपर सदस्यों को दिया गया था. कांग्रेस सांसद विवेक तंखा ने चिठ्ठी में एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कई आपत्तियां बताई. रिपोर्ट में जो अलग-अलग समुदाय, धर्मों और क्षेत्रों में अलग-अलग पर्सनल लॉ का जिक्र किया इसके बारे में भी तंखा ने लिखा है. यूसीसी की संसदीय समिति में कुल 31 लोग हैं जिसमें बीजेपी के सुशील मोदी, रमेश पोखरियाल (निशंक), बहुजन समाज पार्टी के मलूक नागर, शिवसेना के संजय राऊत, कांग्रेस के विवेक तन्खा, महेश जेठमलानी समेत अन्य सदस्य, लॉ कमीशन के सचिव और कानून मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-Delhi : नई संसद की ओर बढ़ रहे पहलवानों को पुलिस ने रोका, हिरासत में लिए गए कई प्रदर्शनकारी
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