नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को यमुना कायाकल्प परियोजना पर एक उच्च स्तरीय समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के 9 जनवरी, 2023 के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया है.
अपनी याचिका में, दिल्ली सरकार ने कहा था कि एलजी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति शासन की संवैधानिक योजना का उल्लंघन था और 2018 और 2023 में सुप्रीम कोर्ट की दो संविधान पीठ के आदेश पारित हुए थे. इस साल जनवरी में एनजीटी ने यमुना में प्रदूषण के मुद्दे के समाधान के लिए समिति का गठन किया था. सरकार ने कहा है कि एनजीटी के आदेश के माध्यम से एलजी को दी गई कार्यकारी शक्तियां विशेष रूप से निर्वाचित सरकार की क्षमता के तहत क्षेत्रों का अतिक्रमण करती हैं.
दिल्ली सरकार ने एनजीटी के आदेश के माध्यम से एलजी को दी गई कार्यकारी शक्तियों पर कड़ी आपत्ति जताई. सरकार ने तर्क दिया कि इस मामले में यमुना नदी में प्रदूषण के मुद्दे की निगरानी सरकार के निर्वाचित प्रमुख, मुख्यमंत्री द्वारा की जानी चाहिए. एनजीटी का यह आदेश अश्वनी यादव द्वारा दायर याचिका पर आया है, जिसमें यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण और उपचारात्मक उपाय करने में अधिकारियों की विफलता को उजागर किया गया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली : हनीट्रैप में फंसा गृह मंत्रालय का कर्मचारी, पाकिस्तान भेज रहा था गोपनीय दस्तावेज, गिरफ्तार
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