अभिमनोज. एनसीपी प्रमुख शरद पवार की अजित पवार से लगातार मुलाकात रहस्यमयी सवालिया निशान बन गई है?
लेकिन.... राजनीति के जानकार मानते हैं कि शरद पवार की यह- ठहरो और देखो, सियासत अंततः बीजेपी को भारी पड़ेगी!
याद रहे, एक बार पहले भी अजित पवार ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी, लेकिन शरद पवार विचलित नहीं हुए और सियासी शतरंज में बीजेपी को मात दे दी थी?
अजित पवार मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, लेकिन बीजेपी के साथ जाकर भी उन्हें कोई साफ रास्ता नजर नहीं आ रहा है, यही नहीं, शरद पवार का साथ नहीं मिला, तो आगे चुनाव में भी सियासी मुश्किलें बढ़ेंगी!
यही वजह है कि शरद पवार ठहरो और देखो के राजनीतिक रास्ते पर चल रहे हैं?
खबरों की मानें तो.... शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया है कि- अजित पवार की शरद पवार से बार-बार मुलाकात को देखना दिलचस्प है और एनसीपी प्रमुख भी इससे बच नहीं रहे हैं, ऐसी आशंका है कि बीजेपी के ‘चाणक्य’, अजित पवार को शरद पवार से मिलने के लिए भेजकर भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, हालांकि इस तरह की मुलाकातें शरद पवार की छवि को धूमिल कर रही हैं और यह अच्छा नहीं है.
उधर, शरद पवार का कहना है कि- अगर उनके भतीजे अजित पवार उनसे मुलाकात करते हैं तो इसमें गलत क्या है?
उनकी मुलाकात को लेकर विपक्षी महा विकास आघाड़ी (एमवीए) में किसी प्रकार की भ्रम की स्थिति नहीं है, एमवीए एकजुट है और हम 31 अगस्त और 1 सितंबर 2023 को मुंबई में होने वाली विपक्षी गठबंधन- इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) की अगली बैठक का सफल आयोजन करेंगे.
बहरहाल, शरद पवार ने अपनी सियासी भूमिका साफ कर दी है कि वे बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे, तो क्या अजित पवार सही समय आने पर कुछ और निर्णय लेंगे?
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https://www.palpalindia.com/2023/08/13/Maharashtra-Lok-Sabha-Sharad-Pawar-dependent-Maharashtra-political-condition-and-direction-news-in-hindi.html
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