जबलपुर. आल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन (एआईपीईएफ) के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन को विद्युत विभाग की जायज मांगों के समाधान के लिए पत्र लिख कर कर कहा है कि प्रदेश हित और विद्युत कर्मियों के हित में 7 जुलाई 2023 को विद्युत मंडल अभियंता के साथ हुए मध्यप्रदेश के ऊर्जा विभाग के लिखित समझौते को जल्द से जल्द लागू हो, श्री दुबे ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि मध्य प्रदेश के विद्युत अभियंता हड़ताल पर जाते हैं तो उन्हें पूरे देश भर से समर्थन मिलेगा.
यह है अभियंता संघ की मांग
निजीकरण, सातवें वेतनमान में 03 विलोपित करने, पेंशन सुरक्षा और पुरानी पेंशन बहाली सहित 7 सूत्रीय मांगों को लेकर अभियन्ता संघ के द्वारा 28 जून 2023 को जायज मांगों की पूर्ति के लिए एक दिवसीय कार्य बहिष्कार एवं 10 जुलाई 2023 से तीन दिवसीय हड़ताल निर्धारित की गई थी. 28 जून 2023 विद्युत अधिकारियों द्वारा की गई एक दिन के हड़ताल एवं मुद्दों की गंभीरता को समझते हुए प्रमुख सचिव ऊर्जा की अध्यक्षता में ऊर्जा विभाग म.प्र. शासन द्वारा मांगों के निराकरण के लिए अभियन्ता संघ को बैठक के लिए 7 जुलाई 23 को भोपाल आमंत्रित किया. बैठक में अभियन्ता संघ ने विस्तार से अपनी सभी 7 प्रमुख मांगे रखी, जिसके बाद प्रमुख सचिव महोदय एवं अभियंता संघ के मध्य मांगों के जल्द निराकरण पर सहमति बनी एवं ऊर्जा विभाग द्वारा सकारात्मक कार्यवाही का लिखित में आश्वासन दिया गया, जिसके फलस्वरूप अभियन्ता संघ ने प्रस्तावित आगामी तीन दिवसीय हड़ताल एवं आंदोलन को प्रदेश हित मे स्थगित कर दिया था.
डेढ़ माह बाद भी आदेश जारी नहीं किये
परंतु डेढ़ माह से ऊपर बीतने के बाद भी ऊर्जा विभाग एवं बिजली कंपनियों द्वारा किसी भी मांग पर सकारात्मक आदेश पारित नही किया गया जिसकी वजह से मध्य प्रदेश के सभी अभियंताओं, अधिकारियों एवं कर्मचारियों में भारी आक्रोश है, जिससे भविष्य में विद्युत अभियन्ताओं द्वारा बड़े पैमाने पर आंदोलन पर विचार किया जा रहा है, आल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन ने मुख्यमंत्री म.प्र को पत्र में लेख किया कि मुद्दों की गंभीरता को समझते हुए इस मामले को स्वसंज्ञान में लेते हुए उचित हस्तक्षेप करने की मांग की,
अखिल भारतीय अभियंता संघ के अध्यक्ष ने कहा है कि इस तरह तरह लिखित समझौता पर अमल न होने से मध्य प्रदेश के कर्मियों और अभियंताओं में रोष व्याप्त है, ऊर्जा विभाग के द्वारा जल्द से जल्द आदेश पारित न होने होने पर अगर मध्य प्रदेश के कर्मी और अभियंता जायज मांगों के लिए हड़ताल में जाते हैं, तो देश के सभी अभियंता मध्यप्रदेश के साथ है एवं चुनाव के समय हड़ताल पर जाने के कारण किसी भी प्रकार की विद्युत व्याधान/अव्यवस्था के लिए सिर्फ ऊर्जा विभाग का प्रबंधन ही जिम्मेदार होगा.
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