शास्त्रों में नवरात्रि के अवसर पर कन्या पूजन या कन्या भोज को अत्यंत ही महत्वपूर्ण बताया गया है. नवरात्रि में देवी मां के सभी साधक कन्याओं को मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप मानकर उनकी पूजा करते हैं. सनातन धर्म के लोगों में सदियों से ही कन्या पूजन और कन्या भोज कराने की परंपरा है. विशेषकर कलश स्थापना करने वालों और नौ दिन का व्रत रखने वालों को लिए कन्या भोज को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है.
कुछ लेखों के अनुसार, भविष्यपुराण और देवीभागवत पुराण में कन्या पूजन का वर्णन किया गया है. इस वर्णन क अनुसार, नवरात्रि का पर्व कन्या भोज के बिना अधूरा है. लोग कन्या पूजा नवरात्रि पर्व के किसी भी दिन या कभी भी कर सकते हैं, लेकिन पौराणिक कथाओं के अनुसार, नवरात्रि के अंतिम दो दिनों अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन श्रेष्ठ माना गया है.
नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से हुई और इसका समापन 24 अक्टूबर को होगा. ऐसा माना जा रहा है, इस बार नवरात्र बेहद खास है. साधक नवरात्र के 9 दिनों तक नौ देवियों की पूजा करते हैं. साथ ही उनके लिए उपवास रखते हैं.
मालूम हो कि नवरात्र की नवमी तिथि का बेहद खास महत्व है क्योंकि इस दिन भक्त कन्या पूजन करते हैं. ऐसी मान्यता है कि कन्या पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होकर अपने भक्तों के घरों को खुशियों से भर देती हैं. मां को प्रसन्न करने के लिए इस विधि द्वारा करें मां की पूजा.
कन्या पूजन विधि
० देवी दुर्गा और भैरव बाबा के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति जाहिर करने के लिए साधक कन्या पूजन का महत्वपूर्ण अनुष्ठान करते हैं.
० कन्या पूजन के दिन साधक सुबह उठें.
अपने घरों को साफ करें.
० कन्या पूजन के लिए नौ लड़कियों के साथ एक लड़के को आमंत्रित करें.
० स्नान करने के बाद ही भोजन कराएं.
० कन्याओं का पैर धोएं.
० कन्याओं को रोली लगाएं.
० कन्याओं की कलाई पर एक पवित्र धागा बांधें.
० कन्याओं को खीर, पूड़ी, हलवा, चना आदि भोजन के रूप में खिलाएं.
० दक्षिणा के रूप में पैसे और कपड़े दें.
० अंत में आशीर्वाद की कामना करें .
कन्या पूजन मंत्र
ॐ श्री दुं दुर्गायै नमः ..
ॐ श्री कुमार्यै नमः ..
या देवी सर्वभूतेषु ‘कन्या ‘ रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः..
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-शारदीय नवरात्रि में अपनी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए करें यह उपाय
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