अहमदाबाद. गुजरात हाईकोर्ट में काफी दिलचस्प केस आया है. यूं तो पति-पत्नी के बीच का रिश्ता, शारीरिक संबंधों का मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा है, लेकिन विवाद की वजह काफी अनोखी है. न कोई आपसी लड़ाई, न अवैध संबंधों का मामला, विवाद का कारण है पत्नी का सप्ताह में सिर्फ 2 दिन के लिए पति से मिलना, जिससे पति संतुष्ट नहीं है. इसलिए उसने अपने हक के लिए फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. शिकायत का काफी रोचक जवाब देते हुए महिला ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर की. केस की सुनवाई करते हुए जज ने दोनों पक्षों को सुना और अपनी विशेष टिप्पणी दी, जिसका जवाब पति से 25 जनवरी को देने को कहा गया है.
आखिर विवाद क्या है?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में सूरत निवासी शख्स ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत फैमिली कोर्ट में शिकायत दी. इसमें उसने मांग की कि उसकी पत्नी को रोज उसके साथ रहने के निर्देश दिए जाएं. दोनों का एक बेटा है, लेकिन पत्नी नौकरी का बहाना बनाकर अपने माता-पिता के घर रहती है. वह उससे मिलने के लिए सप्ताह में सिर्फ 2 दिन आती है. इससे वह संतुष्ट नहीं है. उसके पति होने के अधिकारों का हनन हो रहा है. पत्नी उसके प्रति अपनी जिम्मेदारियों का वहन नहीं कर रही. उसने उसे वैवाहिक अधिकारों से वंचित रखा हुआ है. पत्नी के 2 नावों में सवार रहने की वजह से बच्चे की हेल्थ पर भी काफी असर पड़ रहा है.
पत्नी ने क्या जवाब दिया़?
पत्नी को फैमिली कोर्ट का नोटिस मिला तो उसने जवाब में आपत्ति दर्ज कराई. उसने सिविल प्रक्रिया संहिता के नियम 7 आदेश 11 के तहत अर्जी दायर की कि पति द्वारा दर्ज केस रद्द किया जाए, क्योंकि कोई विवाद ही नहीं है. वह कामकाजी है. नौकरी के कारण मां-बाप के यहां रहती है. अपने पत्नी होने के दायित्वों को वह बखूबी निभा रही है. सप्ताह में 2 दिन पति से मिलने जाती है, क्या 2 दिन पर्याप्त नहीं हैं? क्या सिर्फ 2 दिन के लिए पति से मिलना वैवाहिक जिम्मेदारियों से भागना है? पति का यह दावा कि मैंने उसे छोड़ दिया, गलत है. मैं हर तरीके से पति के प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभा रही हूं और निभाती रहूंगी, इसलिए केस को रद्द किया जाए.
फैमिली कोर्ट और हाईकोर्ट की प्रतिक्रिया
केस की सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैमिली कोर्ट ने गत 25 सितंबर को पत्नी की याचिका खारिज कर दी. फैमिली कोर्ट ने कहा कि प्री-ट्रायल में केस का फैसला नहीं दिया जा सकता है. इसके खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. इसमें पत्नी ने दलील दी कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत प्रावधान है कि किसी को अपनी वैवाहिक जिम्मेदारियों का वहन करने के लिए तभी कहा जा सकता है, जब वे अलग हो गए हों, जबकि उसने पति को नहीं छोड़ा है. दलीलें सुनने के बाद जस्टिस ङ्कष्ठ नानावटी ने सवाल किया कि पति अपनी बीवी को अपने साथ रहने के लिए कहता है तो इसमें गलत क्या है? क्या उसे केस करने का अधिकार नहीं है? इस मुद्दे पर विचार की जरूत है. 25 जनवरी तक जवाब दाखिल किया जाए. केस की सुनवाई आज 17 दिसंबर को हुई.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-