प्रदीप द्विवेदी (ऐस्ट्रोपाॅलिटिकल एनालिसिस). बिहार की राजनीतिक चाय के प्याले में में सियासी तूफान आया हुआ है, कल क्या होगा, कोई नहीं जानता है, लेकिन.... सियासत के सितारों पर भरोसा करें तो.... अब नीतीश कुमार की सत्ता की राह आसान नहीं है!
नीतीश कुमार की प्रचलित कुंडली में वर्ष 2011 से 2029 तक राहु की दशा है, जिसमें 27 जनवरी 2024 से चंद्र का प्रत्यंतर शुरू हुआ है, जो बता रहा है कि उनके मानसिक तनाव का ग्राफ बढ़नेवाला है?
इनकी कुंडली में राहु कुंभ राशि में स्थित है, लिहाजा इस समय-चक्र में मिले जुले फल मिल रहे हैं और जितनी क्षमता है, उसके सापेक्ष परिणाम नहीं मिल रहे हैं, तो गुप्त शत्रु लगातार कमजोर कर रहे हैं, यही नहीं, यदि व्यक्तित्व में अहंकार का प्रवेश हो गया तो लोकप्रिय नहीं रह पायेंगे?
आज 27 जनवरी 2024 से शुरू हुई चंद्र की प्रत्यंतर दशा बता रही है कि आनेवाला समय सियासी तनाव और बढ़ाएगा, चंद्र वृश्चिक राशि में है, जो चंद्र की नीच राशि है, चंद्र दूसरे भाव का स्वामी होकर छठें भाव में है, तो चंद्र की दृष्टि बारहवें भाव पर है, जबकि शनि की पूर्ण दृष्टि चंद्र पर है.... इसका असर यह है कि इस दौरान किए गए कार्यों में पूर्ण सफलता नहीं मिलेगी, विरोधी पॉलिटिकल इमेज बिगाड़ने की कोशिश करेंगे, तो सेहत को लेकर भी सतर्क रहना होगा.
इतना ही नहीं, वर्षफल 2023-24 भी उतना अच्छा नहीं है, वर्षफल में 3 जनवरी 2024 तक गुरु की दशा बेहतर नतीजे दे रही थी, लेकिन 1 मार्च 2024 तक चलनेवाली शनि की दशा कोशिशों में नाकामयाबी के कारण निराशा दे सकती है, पॉलिटिकल इमेज पर सवालिया निशान गहराता जाएगा?
पल-पल इंडिया में 23 अगस्त 2020 को कहा था.... नीतीश कुमारः सितारे तो साथ हैं, सहयोगियों को भी साध लिया तो फिर बनेंगे मुख्यमंत्री!
निकट भविष्य में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सियासी परीक्षा है. उनके समक्ष बड़ी चुनौती यही है कि जहां उन्हें बिहार में अपनी सत्ता बनाए रखनी है, वहीं सहयोगी दलों को भी साथ ले कर चलना है.
सियासत के सितारे कहते हैं कि- तकदीर तो उनके साथ हैं, बस सहयोगी पक्के रहे, तो जीत की संभावना अस्सी प्रतिशत के पार है!
नीतीश कुमार की भाग्यरेखा तो प्रबल है ही, जन्म कुंडली में भाग्य भाव भी काफी मजबूत है, इसलिए किसी भी परेशानी से वे बाहर निकल आते हैं.
नितीश कुमार का जन्म पटना के बख्तियारपुर में हुआ. वे अभियांत्रिकी महाविद्यालय के छात्र रहे हैं, जो अब राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, पटना के नाम से पहचाना जाता है. यहां से उन्होंने विद्युत अभियांत्रिकी में उपाधि प्राप्त की थी.
नीतीश कुमार का सक्रिय राजनीति में प्रवेश सातवें दशक में हुआ, जब वे जयप्रकाश बाबू के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन में शामिल हुए. वे प्रमुख नेता सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के भी काफी करीबी रहे.
नीतीश कुमार पहली बार बिहार विधानसभा के लिए 1985 में चुने गये थे, 1987 में युवा लोकदल के अध्यक्ष बने, तो 1989 में उन्हें बिहार में जनता दल का सचिव चुना गया. वर्ष 1989 में ही वे नौंवी लोकसभा के सदस्य भी चुने गये थे.
वे 20 मार्च 2001 से 21 मई 2004 तक भारत के रेलमंत्री रहे, तो वर्ष 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बने, करीब पन्द्रह साल मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार सुशासन बाबू की तरह प्रसिद्ध हैं, लेकिन इन दिनों कई मुद्दों पर विरोधियों के सियासी निशाने पर हैं.
वैसे, कोरोना संकट के समय विधानसभा चुनाव, जहां नए तौर-तरीकों के मामले में कमजोर विरोधियों को उलझाने वाले हैं, वहीं नई तकनीक बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को अधिक रास आएगी.
नीतीश कुमार के पक्ष में- वर्तमान मुख्यमंत्री होना, व्यक्तिगत गंभीर आरोप नहीं होना, संगठन पर मजबूत पकड़ सहित इमोश्नल मुद्दे हैं, वहीं प्रदेश के प्रवासी मजदूरों की नाराजगी, रिश्वतखोरी, अपराध में वृद्धि, शिक्षा-चिकित्सा संबंधी कुप्रबंधन आदि मुद्दे उनके विरोध में हैं.
नीतीश कुमार की प्रचलित कुंडली पर नजर डालें तो जहां राजनीति के कारक ग्रह शनि का पराक्रम भाव में गोचर उन्हें मजबूती दे रहा है, वहीं वर्षफल भी उनकी कामयाबी के संकेत दे रहा है.
इस वर्ष- 2020 में उत्तरार्ध का समय उनके लिए श्रेष्ठ बना है, खासकर 30 सितम्बर 2020 से उनका बेहतर समय शुरू हो रहा है, जब अचानक परिस्थितियां उनके अनुकूल होने लगेंगी. सहयोगियों का समर्थन मिलेगा, तो राजनीतिक-सामाजिक क्षेत्र में विशेष प्रतिष्ठा प्राप्त होगी.
नवंबर 2020 से उत्साह में बढ़ोतरी होगी, तो यात्राएं सफल होंगी. इस दौरान तुरंत निर्णय ले पाएंगे, जिनके परिणाम भी अच्छे मिलेंगे. इस समय लोगों से सम्पर्क भी बढ़ेगा, जिसके सुखद् नतीजे भी निकलेंगे.
यदि किसी विरोधी के सितारे नीतीश कुमार से ज्यादा प्रभावी नहीं हुए, तो उनकी कामयाबी का प्रतिशत 80 से ऊपर है, लिहाजा उनके फिर से मुख्यमंत्री बनने की प्रबल संभावना है!
बिहार में सत्ता की चाबी तो नीतीश बाबू के पास ही रहेगी!
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