MP: नाबालिग छात्रा का पीछा करने वाले लड़के को हाईकोर्ट ने दी सजा, दो माह तक अस्पताल में मरीजों की सेवा करो

MP: नाबालिग छात्रा का पीछा करने वाले लड़के को हाईकोर्ट ने दी सजा, दो माह तक अस्पताल में मरीजों की सेवा करो

प्रेषित समय :19:55:51 PM / Thu, May 23rd, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी हाईकोर्ट ने एक छात्र को दो माह तक सुबह 9 बजे से दोपहर एक बजे तक भोपाल के जिला अस्पताल में रहकर मरीजों की सेवा करने व साफ-सफाई करने की सजा दी है. छात्र को ये सजा उसे एक नाबालिग छात्रा का पीछा करने पर सुनाई गई है. मामला अप्रैल 2024 का है जब नाबालिग छात्रा के माता-पिता ने भोपाल के एक थाने में बीबीए फस्ट ईयर के छात्र की शिकायत की थी.

एमपी की राजधानी भोपाल के छात्र के खिलाफ एक नाबालिक लड़की ने पिपलानी थाने में एक शिकायत की थी जिसमें इस लड़की ने आरोप लगाया था कि यह लड़का उसका पीछा करता है. उसे फोन करके परेशान करता है. छात्र के खिलाफ भोपाल के पिपलानी थाने में पॉस्को एक्ट के तहत मामला दर्ज  किया गया था. आरोपी छात्र के लिए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में जमानत की याचिका दायर की गई थी. जमानत के लिए हाई कोर्ट में आरोपी छात्र के माता-पिता भी पहुंचे और हाईकोर्ट से कहा कि उसकी पढ़ाई चल रही है. अगर उसे गंभीर सजा दी जाती है तो उसका करियर बर्बाद हो जाएगा. माता-पिता ने अपने बेटे के इस कृत्य पर माफी मांगी. हाईकोर्ट जस्टिस आनंद पाठक ने सुनवाई के दौरान छात्र को अनोखी सजा सुनाई. जस्टिस आनंद पाठक ने अपने आदेश में कहा कि छात्र को एक बेहतर सिटीजन बनने के लिए समाज सेवा की सजा सुनाई गई है. जस्टिस आनंद पाठक ने अस्थाई जमानत देते हुए आरोपी छात्र को भोपाल के जिला अस्पताल में हर शनिवार और रविवार को सुबह 9 बजे से दोपहर 1 तक मरीजों की सेवा करने की सजा दी. हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों की उसे मदद करनी होगी. अस्पताल की साफ सफाई व्यवस्था, रजिस्ट्रेशन के काम में भी मरीज का सहयोग करना होगा. हाईकोर्ट जस्टिस आनंद पाठक ने अपने आदेश में लिखा है कि इस तरीके से यह लड़का अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को समझेंगा और एक बेहतर नागरिक बनेगा. अगर छात्र ने आदेशों का पालन नहीं किया तो उसकी जमानत रद्द कर दी जाएगी. अब मामले को लेकर अगली सुनवाई 17 जुलाई को है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी लिखा है कि लड़का अस्पताल में मरीजों को परेशानी का कारण नहीं बनेगा. अस्पताल प्रबंधन अगर उसके दुर्व्यवहार या फिर उसके आचरण की जानकारी मिलने की शिकायत करता है तो उसकी जमानत खारिज कर दी जाएगी. हाईकोर्ट ने कहा कि लड़के की उम्र और भविष्य को देखते हुए इस तरह की सजा दी जा रही है ताकि समाज की मुख्यधारा में आने का उसे एक अवसर प्रदान किया जा सके. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल उसे बाह्य विभाग में कार्य करने की अनुमति प्रदान करेंगे और लड़के से साफ-सफाई की व्यवस्था बनाए रखने सहित प्राथमिक काम लेगें.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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