एक-एक संफूट लगाकर दुर्गा चण्डी पाठ एवं मंत्र करने से अधिक लाभ तथा सिद्धि प्राप्ति होती

एक-एक संफूट लगाकर दुर्गा चण्डी पाठ एवं मंत्र करने से अधिक लाभ तथा सिद्धि प्राप्ति होती

प्रेषित समय :22:12:09 PM / Sat, Jul 6th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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हिंदू पंचांग के अनुसार,6 जुलाई, 2024, शनिवार से शुरू हो चुकी  है, 15 जुलाई, 2024, सोमवार को समाप्त होगी. इस साल तृतीया तिथि दो दिन पड़ रही है. इसलिए आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि पूरे 10 दिन पड़ेगी.

गुप्त नवरात्रि में इन 10 महाविद्याएं की होगी पूजा

आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि के दौरान 10 महाविद्याओं की पूजा करने का विधान है. इस दौरान मां काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला माता की पूजा की जाती है.
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2024 तिथि

6 जुलाई 2024 – आषाढ़ गुप्त नवरात्रि प्रतिपदा तिथि, घटस्थापना मुहूर्त
7 जुलाई 2024 – आषाढ़ गुप्त नवरात्रि द्वितीया तिथि
8 जुलाई 2024 – आषाढ़ गुप्त नवरात्रि तृतीया तिथि
9 जुलाई 2024 – आषाढ़ गुप्त नवरात्रि तृतीया तिथि
10 जुलाई 2024 – आषाढ़ गुप्त नवरात्रि चतुर्थी तिथि
11 जुलाई 2024 – आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पंचमी तिथि
12 जुलाई 2024 – आषाढ़ गुप्त नवरात्रि षष्ठी तिथि
13 जुलाई 2024 – आषाढ़ गुप्त नवरात्रि सप्तमी तिथि
14 जुलाई 2024 – आषाढ़ गुप्त नवरात्रि महाष्टमी
15 जुलाई 2024 – आषाढ़ गुप्त नवरात्रि महानवमी
गुप्त नवरात्रि का महत्व

आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के अलावा मां काली और अन्य महाविद्याओं की पूजा करने का विधान है. इस दौरान तांत्रिक, साधक और अघोरी तंत्र मंत्र की सिद्धि करने के लिए गुप्त साधना करते हैं. इसमें महाविद्याओं की पूजा गुप्त तरीकों से की जाती है.

सप्त-श्लोकी दुर्गा, त्रयोदश-श्लोकी दुर्गा, मूल सप्तशती एवं गुप्त सप्तशती को कुछ समय नित्य नियमित करने के बाद, उनके द्वारा जब भौतिक तथा आध्यात्मिक रूप से अनुभूतियों की प्राप्ति होने लगे, तब अनुभूत साधना के मन्त्रों के आगे-पीछे दोनों तरफ सम्पुट लगाकर विशेष प्रकार के लाभों की प्राप्ति हेतु प्रयास करना चाहिए. सप्त-श्लोकी दुर्गा के सात मन्त्रों, त्रयोदश-श्लोकी दुर्गा के तेरह मन्त्रों, मूल सप्तशती के पाँच उवाच मन्त्रों के सहित पच्चहत्तर मन्त्रों एवं गुप्त सप्तशती के दस मन्त्रों के आगे अथवा आगे-पीछे दोनों ओर विशेष प्रकार के सम्पुट लगाकर जप करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है. 
१. प्रत्येक मन्त्र को बाग-बीज (ऐं) से सम्पुटित कर नित्य सौ बार जप करने से विद्या की प्राप्ति होती है.
२. प्रत्येक मन्त्र के आगे व पीछे दोनों ओर प्रणव (ॐ) से सम्पुटित कर जप करने से सभी मन्त्र जाग्रत हो जाते हैं. 
३. प्रत्येक मन्त्र के आगे ॐ भूर्भुवः स्वः' तथा पीछे' स्वः भुवर्भू ॐ' लगाकर नित्य सौ बार जप करने से शीघ्र मन्त्र-सिद्धि होती है.
४. प्रत्येक मन्त्र के आगे अनुलोम मृत्युञ्जय मन्त्र (ॐ जूं सः) तथा पीछे विलोम मृत्युञ्जय मन्त्र (सः जूं ॐ) लगाकर नित्य जप करने से मृत्यु-तुल्य कष्टों एवं अकाल मृत्यु से रक्षा होती है. 
५. प्रत्येक मन्त्र को' श्री दुर्गा सप्तशती' के' शूलेन पाहि नो देवि०' मन्त्र से सम्पुटित कर जप करने से भी अकाल मृत्यु का निवारण होता है.
६. प्रत्येक मन्त्र को' श्री दुर्गा सप्तशती' के 'शरणागत-दीनार्त्त' मन्त्र से सम्पुटित कर जप करने से सभी प्रकार के कार्यों में सफलता प्राप्त होती है. 
७. प्रत्येक मन्त्र को 'श्री दुर्गा सप्तशती' के अर्द्ध-श्लोक 'करोतु सा नः शुभ-हेतुरीश्वेरी' मन्त्र से सम्पुटित कर जप करने से भी सभी प्रकार के कार्यों में सफलता प्राप्त होती है.
८. प्रत्येक मन्त्र को' श्री दुर्गा सप्तशती' के' दुर्गे स्मृता' मन्त्र से सम्पुटित कर जप करने से सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है. 
९. प्रत्येक मन्त्र को' श्री दुर्गा सप्तशती' के.  'सर्वा बाधा' मन्त्र से सम्पुटित कर जप करने से सभी प्रकार के संकटों का निवारण होता है. 
१०. प्रत्येक मन्त्र को' श्री दुर्गा सप्तशती' के' इत्थं यदा यदा बाधा' मन्त्र से सम्पुटित कर नित्य सौ बार जप करने से महामारी की शान्ति होती है.
११. प्रत्येक मन्त्र को 'श्री दुर्गा सप्तशती' के 'तत्तो वब्रे नृपो राज्यं' मन्त्र से सम्पुटित कर नित्य जप करने से नष्ट हुई प्रतिष्ठा, लक्ष्मी आदि की पुनः प्राप्ति होती है. 
१२. प्रत्येक मन्त्र को' श्री दुर्गा सप्तशती' के ' रोगानशेषानपहुंसि' मन्त्र से सम्पुटित कर जप करने से सभी प्रकार के रोगों का नाश होता है. 
१३. प्रत्येक मन्त्र को 'श्री दुर्गा सप्तशती' के 'देवि! प्रपन्नार्ति-हरे ! मन्त्र से सम्पुटित कर जप करने से सभी प्रकार की कामनाएँ पूर्ण होती हैं. 
१४. प्रत्येक मन्त्र को 'श्री सूक्त' की ऋचा 'कांसोऽस्मि तां हिरण्य-प्राकारामार्दा ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीं. पदो स्थितां पचा-वर्णा तामिहोपह्वये श्रियम्..' से सम्पुटित कर जप करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.
१५. प्रत्येक मन्त्र को 'काम-बीज' (क्लीं) से सम्पुटित कर जप करने से सभी प्रकार के कार्यों में सफलता प्राप्त होती है. 
१६. प्रत्येक मन्त्र को 'माया-बीज' (ह्रीं) से सम्पुटित कर ११ बार नित्य जप करने से सभी प्रकार के उपद्रवों का नाश होता है. 
१७. प्रत्येक मन्त्र को' श्री-बीज' (श्रीं) से सम्पुटित कर ४९ दिन ५० बार नित्य जप करने से धन-वैभव की प्राप्ति होती है.
१८. प्रत्येक मन्त्र को 'ॐ गं गणपतये नमः' से सम्पुटित कर जप करने से भगवान् गणेश की कृपा की प्राप्ति होती है. 
१९. प्रत्येक मन्त्र को 'ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्य श्रीं' से सम्पुटित कर जप करने से भगवान् सूर्य की कृपा की प्राप्ति होती है और सूर्य ग्रह- जनित बाधाएँ नष्ट होती हैं. 
२०. प्रत्येक मन्त्र को' ॐ ह्रीं श्रीं प्लां में मङ्गलाय नमः' से सम्पुटित कर जप करने से मङ्गल- ग्रह - जनित बाधाएँ दूर होती हैं.

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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