एक ऐसा शिक्षक जिसके पास 200 से भी अधिक गाँवों के 2000 से अधिक बच्चे पढ़ने पहुँचते हैं

शिक्षक जिसके पास 200 से भी अधिक गाँवों के 2000 से अधिक बच्चे पढ़ने

प्रेषित समय :19:09:40 PM / Thu, Sep 5th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

ठाकुर कुमार सालवी 

चित्तौड़गढ़. शिक्षण कार्य पावन कार्यों में से एक है और आज हम एक ऐसे ही पावन और निस्वार्थ भाव के समाज सेवी शिक्षक की बात कर रहे हैं जो पिछले 11 वर्षों से अपनी सर्वस्व शक्ति को न्योछावर कर राष्ट्र निर्माण के लिए प्रयासरत है. एक ऐसे शिक्षक जो समाज में शिक्षा व ज्ञान का प्रसार करने का शौक रखता है. जिनका मानना है कि यदि किसी राष्ट्र और समाज को श्रेष्ठ बनाना है तो शिक्षा बेची नहीं, बांटी जानी चाहिए. आज हम एक ऐसे समाज सेवी शिक्षक की बात कर रहे हैं जो शिक्षा के क्षेत्र में अपने जज्बे और जुनूनियत के लिए जाने जाते हैं.

जिन्होंने शिक्षा को सेवा का साधन बनाकर लाखों लोगों की दुआओं के जरिए उनके दिलों में अपनी सम्मानजनक छवि बनाई हैं. उस महान व्यक्तित्व का नाम है मनोज मीना. एम - टू प्रयास नि:शुल्क शिक्षण अभियान के स्थापक मनोज मीना, जिन्होंने एक ऐसे अनोखे अभियान की शुरुआत की जहां बच्चों की नैतिकता एवं मानवता पुरित नींव भरी जाती है. इस अभियान का मकसद ही हर जरूरतमंद और पिछड़े बच्चों तक शिक्षा को पहुंचाना है जो किसी कारणवश शिक्षा से वंचित रहा हो.

अपने कार्य के प्रति लगन एवं जुनून होने के कारण यहां पढ़ने वाले सभी छात्रों के लिए यह प्रेरणा का महान स्त्रोत है. इन्होंने अपना जीवन नि:स्वार्थ भाव से भविष्य की बुनियाद रखने वाले बच्चों को शिक्षित करने के लिए समर्पित किया है.

मनोज मीना ने जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने के लिए एक अनोखे क्लासरूम की शुरुआत की जिसको उन्होंने एम-टू प्रयास नि:शुल्क शिक्षण अभियान नाम दिया. जिसमें एम - टू का अर्थ मोरल माइंड हैं .  नैतिक शिक्षा पर आधारित इस अनोखे अभियान की शुरुआत 3 बच्चों को पढ़ाने से हुई और वर्तमान में इससे आसपास के क्षेत्र के  200 से अधिक गॉंवो के लगभग 2000 बच्चे लाभान्वित है .मनोज ने 19 सितंबर 2013 को इस अभियान की शुरुआत की गई जिसमें मुख्यत: जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 6 में प्रवेश हेतु चयन परीक्षा की तैयारी करवाई जाने लगी ताकि बच्चों को एक आवासीय विद्यालय में बेहतर सुविधाओं के साथ शिक्षा मिल सके . और यह कारवां बढ़ता ही चला गया , 10 वर्षों से लगातार नि:शुल्क शिक्षा दे रहे इस अभियान में वर्तमान में नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूल, विशेष मैट्रिक छात्रवृत्ति परीक्षा, कक्षा 3 से 12वीं, बीएसटीसी, सीईटी, रीट, एसएससी जीडी, आरपीएफ, अग्निवीर एवं अन्य प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षाओं की तैयारी पूर्णत: नि:शुल्क करवाई जा रही है. 

ये शिक्षक बच्चों में पढ़ाई के दौरान नैतिक मूल्य विकसित करने की कला जानते हैं. पढ़ाई और दूसरे क्रियाकलापों के दौरान यह समय का ज्ञान, कौशल, अनुशासन, व्यवहारिकता, आत्मविश्वास, सही-गलत जैसे मानवीय गुणों के सुनहरे पत्थरों से बच्चों की नैतिक नींव का सुदृढ़ीकरण करने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हैं . 

अब इस अभियान में तैयारी करने के लिए प्रदेशभर से बच्चे आते हैं जो कस्बे में रहकर यहां नि:शुल्क पढ़ाई करते हैं.बोरखेड़ी गांव के रहने वाले मनोज मीना भी स्वयं प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने जेब खर्च व यूनिवर्सिटी से मिलने वाली छात्रवृत्ति से नि:शुल्क कोचिंग की व्यवस्था की. अब जब बच्चों की संख्या 2 हज़ार हो चुकी है, तब बच्चों के अभिभावक भी स्टेशनरी की सामग्री में सहयोग देने लगे है.

एम-टू का हर वर्ष बेहतर परिणाम

एम- टू प्रयास के स्थापक मनोज मीना से प्राप्त जानकारी से पता चला कि एम - टू प्रयास का हर वर्ष नवोदय विद्यालय एवं सैनिक स्कूल का शानदार परिणाम रहता है . हर वर्ष चयनित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी होती है . विगत 11 वर्षों से अब तक  344 बच्चों का नवोदय विद्यालय , 167 से अधिक बच्चों का सैनिक स्कूल व  59 बच्चों का विशेष पुर्व मेट्रिक छात्रवृति परीक्षा में चयन हो चुका है. साथ ही बीएसटीसी में 200 से अधिक व भारतीय सेना मे 8 बच्चों का चयन हुआ हैं. इसके अतिरिक्त 10th व 12th बोर्ड में भी सभी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हैं.

पढ़ने वाले बच्चे ही पढ़ाते हैं, M-2 में नियम बना रखा है कि जिस बच्चे के जिस विषय में 90% से ज़्यादा है, वहीं वो विषय पढ़ा सकता हैं . साथ ही वर्तमान में 30 से अधिक क्लास चल रही है, जिनमें 100 से अधिक पढ़ाने वाले टीचर हैं . यह कक्षाएँ मंदिर, चौपाल, सामाजिक नौहरो, विधानिकेतन स्कूल,खुले मैदान और अभिभावको द्वारा दी गई बिल्डिंग में संचालित होतीं हैं . इस प्रकार मनोज मीना अपने साथियों और स्टूडेंट्स की सहायता से सभी व्यवस्थाओं का संचालन कर रहे हैं .

कोरोना काल की अवधि में भी नहीं रुकी पढ़ाई

कोरोना काल की अवधि में जब सभी शिक्षण संस्थान बंद हो चुके थे. सभी बच्चे पढ़ाई से वंचित हो गए थे. तब भी एम - टू में मनोज मीना की शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय भूमिका रही.  इनके निर्देशन में संपूर्ण रखरखाव सोशल डिस्टेंसिंग एवं मास्क का प्रयोग करते हुए 10 बच्चों के छोटे समूह में लगभग 100 से अधिक कक्षाएं चलाकर 1000 से अधिक बच्चों को शिक्षा प्रदान की गई. इसके फलस्वरूप विद्यार्थियों का अध्ययन का क्रम नही टूटा और वे शिक्षा में निरंतरता का अनुभव कर सके. यही राष्ट्र निर्माण के लिए प्रयास माने जाते हैं.

एम - टू में बच्चे को पढ़ाने के लिए भी हैं नियम

एम-टू प्रयास नि:शुल्क शिक्षण अभियान में पढ़ाने के लिए भी नियम बनाए गए हैं.  यहां पर पढ़ाने के लिए शुल्क तो नहीं लिया जाता पर यहां के नियमों की पालना सभी के लिए अनिवार्य रखी गई है . नियमों में बच्चा सरकारी स्कूल में अध्ययनरत होना आवश्यक है. हर महीने रखी जाने वाली पेरेंट्स मीटिंग में माता या पिता का आना अनिवार्य है. सभी को समय की कठोरता से पालना करनी होती है. वहीं बच्चे से वादा लिया जाता है कि वह भी आगे चलकर बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाएंगे. इस अभियान में बच्चों को नैतिकता के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी जाती है.

एम-टू के प्रभाव से जुड़े सामाजिक सुधार

इस अभियान के द्वारा लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता आई है. यहां अब लोग अपने बच्चों का बाल विवाह न करवाकर उन्हें शिक्षित करने की ओर अग्रसर हुए हैं. क्षेत्र में लोग अपनी बेटियों को भी उच्च शिक्षा दिलाने के लिए जागरूक हुए हैं. इस अभियान से सरकारी विद्यालयों में नामांकन बढ़े हैं. क्षेत्र में बाल अपराध एवं बाल मजदूरी जैसी क्रियाओं का होना कम हुआ है. क्षेत्र में शिक्षा के प्रति जागरूकता आई है जो बच्चों के स्वर्णिम भविष्य की ओर अग्रसर है.

ऐसे शिक्षक असल में राष्ट्र निर्माता है, जो बच्चों के व्यक्तित्व सुधारक एवं समाज के पथ प्रदर्शक बनकर उनका सही मार्गदर्शन करते हैं. इनके इन्हीं जीवन मूल्यों व गुणों से अवगत होकर बच्चे व उनके अभिभावक इन्हें ईशतुल्य मानते हैं. शिक्षक दिवस पर ऐसे महान शिक्षा संत को हम सभी सलाम करते हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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