प्रदीप द्विवेदी
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले जहां छोटे-से-छोटा चुनाव भी.... एक अकेला सब पर भारी, के अंदाज में नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा जा रहा था, वहीं ताजा हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के चेहरे पर नहीं लड़े गए, काहे?
इसके कई कारण हैं....
1. सबसे बड़ा कारण जेपी नड्डा का वह बयान है, जिसमें उन्होंने कहा था कि- अब बीजेपी को संघ की जरूरत नहीं है, इसके बाद से संघ के अनेक समर्थक बीजेपी के लिए तो सक्रिय समर्थन देने को तैयार हैं, लेकिन केवल नरेंद्र मोदी के चेहरे पर सक्रिय होने को तैयार नहीं हैं.
2. लोकसभा चुनाव 2024 ने नरेंद्र मोदी का पॉलिटिकल मेकअप उतार दिया है, इसके नतीजे बताते हैं कि- मोदी मैजिक ढेर हो गया है.
3. मोदी-शाह की राजनीति ने दो बड़े नुकसान किए हैं, पहला- लालकृष्ण आडवाणी से लेकर संघ मूल के अनेक बीजेपी नेताओं को तो सियासी संन्यास आश्रम में पहुचा ही दिया है, योगी की राह में भी सियासी कांटे बिछाए जा रहे हैं, योगी समर्थकों की नाराजगी की वजह से ही लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के गढ़ उत्तर प्रदेश में बीजेपी मात खा गई, दूसरा- गुजरात का बहुत बड़ा नुकसान कर दिया गया है, गुजरात देश के शेष राज्यों से सियासी धारणा के तौर पर अलग-थलग पड़ता जा रहा है, कई राज्यों के नेता गुजरात और गुजरातियों को लेकर टिप्पणियां कर रहे हैं?
4. महाराष्ट्र में यदि नरेंद्र मोदी को चुनावी चेहरा बनाया जाता है, तो चुनाव गुजरात वर्सेस महाराष्ट्र में बदल सकता है?
5. यह साफ हो गया है कि- जल्दी ही नरेंद्र मोदी की सियासी विदाई तय है, लिहाजा अब उनके सियासी चेहरे को चमकाने का कोई खास फायदा नहीं है, बहुत जल्दी कोई नया चेहरा बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा बन कर उभर सकता है!
Prashant Bhushan @pbhushan1
Hmmm....
https://x.com/pbhushan1/status/1846855857637642580/photo/1
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-