पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश में ओंकारेश्वर बांध के डूब प्रभावित किसानों के बालिग बेटों को मुआवजा नहीं दिए जाने पर हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार जल्द इस पर निर्णय ले. नर्मदा बचाओ आंदोलन की याचिका पर कोर्ट में शनिवार को सुनवाई हुई.
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल मिश्रा व जस्टिस अवनींद्र कुमार सिंह की युगलपीठ बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि ओंकारेश्वर बांध प्रभावित किसानों के बालिग बेटों को भूमिहीन प्रभावितों के समकक्ष विशेष पैकेज दिया जाए. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि सरकार निर्णय लेने से पहले याचिकाकर्ता नर्मदा बचाओ आंदोलन की सुनवाई करे और विस्तृत निर्णय पारित कर उन्हें सूचित भी करे. हाईकोर्ट ने 7 जून 2013 को ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों के लिए एक विशेष पैकेज देने का आदेश दिया था. इस आदेश में भूमिहीन परिवार व उनके बालिग बेटों को 2.5 लाख रुपए का अतिरिक्त पैकेज देने को कहा था. राज्य सरकार ने 31 जुलाई 2019 में इस पैकेज पर 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दिया, लेकिन पैकेज का लाभ सभी पात्रों को नहीं मिला.
नर्मदा बचाओ आंदोलन ने इसीलिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. इसके बाद आज हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज शर्मा ने पक्ष रखा. उन्होंने कोर्ट में बताया कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश (10 जुलाई 2023) में राज्य सरकार को किसानों के बालिग बेटों के विषय में जल्द से जल्द निर्णय लेने का आदेश दिए था. नर्मदा बचाओ आंदोलन के द्वारा अतिरिक्त मुख्य सचिव से बार-बार मुलाकात करने के बाद भी मामले पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा रहा है.
अधिवक्ता मनोज शर्मा ने कोर्ट को बताया कि उच्च न्यायालय में राज्य सरकार द्वारा स्पष्ट कहा गया था कि ओंकारेश्वर बांध प्रभावित किसानों के वयस्क पुत्रों को भूमिहीनों को सभी लाभ दिए जा रहे हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट कहा था कि किसानों के व्यस्क पुत्रों को व भूमिहीनों के वयस्क पुत्रों को समान लाभ दिए जाने चाहिए लेकिन ये लाभ किसानों के वयस्क पुत्रों को नहीं दिए गए हैं. याचिका में हाईकोर्ट से आग्रह किया गया था कि वह सरकार को आदेश दे कि इस विषय पर एक निश्चित समय सीमा में निर्णय लिया जाए.
सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने आदेश दिया कि सरकार इस विषय में नर्मदा आंदोलन द्वारा दिए गए ज्ञापन 10.02.2022 पर 2 माह में निर्णय ले. आदेश में यह भी कहा गया है कि सरकार के द्वारा किसी भी प्रकार का निर्णय लेने से पहले पूर्व याचिकाकर्ता नर्मदा बचाओ आंदोलन को सुना जाए और इस सम्बन्ध में विस्तृत आदेश पारित कर याचिकाकर्ता को सूचित किया जाए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-