अभिमनोज
घरेलू हिंसा का मुकदमा उन्हीं लोगों पर दर्ज किया जा सकता है, जो पीड़िता के साथ साझा घर में रह रहे हों, यह इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है.
खबरों की मानें तो.... इलाहाबाद हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा के एक मामले में पति और सास को छोड़ कर शेष पारिवारिक सदस्यों के खिलाफ केस कार्रवाई यह कहते हुए रद्द कर दी है कि- ठोस साक्ष्य के बिना दूर के रिश्तेदारों को घरेलू हिंसा मामले में फंसाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है.
खबरों पर भरोसा करें तो.... न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने सोनभद्र की कृष्णा देवी और छह अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि- घरेलू हिंसा का मुकदमा उन्हीं लोगों पर दर्ज किया जा सकता है, जो पीड़िता के साथ साझा घर में रह रहे हों, इस न्यायालय को ऐसे कई मामले मिले, जहां पति या घरेलू संबंध में रहने वाले व्यक्ति के परिवार को परेशान करने के लिए, पीड़ित पक्ष दूसरे पक्ष के उन रिश्तेदारों को फंसाता था, जो पीड़ित व्यक्ति के साथ साझा घर में नहीं रहते या रह चुके हैं.
उल्लेखनीय है कि.... वैवाहिक विवाद के चलते पीड़िता ने पति, सास सहित विवाहित ननदों के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दर्ज कराया था, इसके बाद सास समेत छह रिश्तेदारों ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सोनभद्र के समक्ष लंबित मामले में कार्यवाही को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, इस पर अदालत का कहना है कि- विवाहित बहनें और उनके पति अलग-अलग रहने के कारण अधिनियम के तहत आरोपित नहीं माने जा सकते, अलबत्ता सास और पति के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी, क्योंकि दहेज से संबंधित उत्पीड़न सहित घरेलू हिंसा के इन पर विशिष्ट आरोप हैं.
अदालत ने ट्रायल कोर्ट को 60 दिनों में केस की सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है!
घरेलू हिंसा का मुकदमा उन्हीं पर, जो पीड़िता के साथ साझा घर में रह रहे हों!
प्रेषित समय :20:25:34 PM / Thu, Feb 6th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर




