पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी के जबलपुर हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि बिना मान्यता के एलएलबी-एलएलएम में प्रवेश देने वाले कॉलेजों व विश्वविद्यालयों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी. जबलपुर के विधि छात्र व्योम गर्ग और शिखा पटेल ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि उन्होंने सेंट्रल इंडिया लॉ इंस्टीट्यूट से प्रवेश लिया था. कोर्स पूरा करने के बाद जब उन्होंने स्टेट बार काउंसिल ऑफ मध्य प्रदेश में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कियाए तो उनका रजिस्ट्रेशन यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया गया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने रिन्यूअल फीस जमा न होने के कारण संस्थान की मान्यता समाप्त कर दी है. ऐसे में उनका रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा सकता.
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए पुलिस कमिश्नरए भोपाल को पूरे प्रकरण की जांच करने का आदेश दिया है. साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों को इस जांच में पुलिस का सहयोग करने के लिए कहा गया है. याचिकाकर्ता छात्रों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर करने पर अदालत ने इसे गंभीरता से लिया और प्रदेशभर के उन शैक्षणिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही करने के निर्देश दिए. जो इस तरह के कामों में शामिल हैं.
बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्त न होने पर सभी शैक्षणिक संस्थान और विश्वविद्यालय अपने पोर्टल पर स्पष्ट रूप से इसका उल्लेख करें. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ऐसी व्यवस्था बनाएए जिससे कोई भी संस्थान छात्रों के करियर से खिलवाड़ न कर सके. सभी विधि विश्वविद्यालय और लॉ कॉलेज अपने पोर्टल को हर वर्ष मार्च माह में अपडेट करें ताकि कोई भी छात्र गुमराह न हो सके.
याचिकाकर्ता छात्रों ने हाईकोर्ट को यह भी बताया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया कई बार बैकडेट में मान्यता देती हैए कुछ मामलों में तो 20 साल बाद पिछली तारीख से मान्यता प्रदान की गईए जिससे छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. छात्रों ने कहा कि कई बार बार काउंसिल ऑफ इंडिया, स्टेट बार, मध्य प्रदेश शासन एवं विश्वविद्यालयों के पोर्टल पर मान्यता प्रमाणित करने में गलत विवरण दर्ज किया जाता है. जिसके आधार पर छात्र प्रवेश ले लेते हैं और बाद में उनके करियर पर संकट आ जाता है. हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 25 मार्च को निर्धारित की है. अदालत ने यह भी आदेश दिया कि अगली सुनवाई के दौरान उच्च शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी और भोपाल के पुलिस कमिश्नर को अदालत में उपस्थित रहना होगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-