जबलपुर. आदि शंकराचार्य चौक पर नगर निगम जबलपुर द्वारा लगाया गया चेतावनी बोर्ड साफ़ शब्दों में कहता है कि शासकीय संपत्तियों पर किसी प्रकार के फ्लेक्स, बैनर या बोर्ड लगाना पूर्णत: प्रतिबंधित है. आदेश का उल्लंघन करने पर दंडात्मक कार्यवाही की चेतावनी भी दी गई है. लेकिन विडंबना यह है कि ठीक इसी चेतावनी बोर्ड के बगल में एक धार्मिक संगठन का बड़ा बोर्ड लगा हुआ है, जो साफ तौर पर नियमों की धज्जियाँ उड़ाता दिख रहा है.
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह दृश्य अब आम हो चला है. किसी राजनेता का जन्मदिन हो, धार्मिक आयोजन हो या सरकारी घोषणा, सभी के लिए यही चौराहा प्रचार का सबसे आसान माध्यम बन गया है. नगर निगम की चेतावनी अब केवल दिखावे की चीज़ बनकर रह गई है.
आनंद विहार, नेपियर टाउन निवासी प्रदीप कुमार गुप्ता ने इस दोहरे रवैये पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यदि नगर निगम अपने ही आदेश का पालन नहीं करवा सकता, तो बेहतर होगा कि वह अपना चेतावनी बोर्ड हटा ले. इससे कम से कम आमजन के मन में भ्रम नहीं रहेगा और कानून के प्रति थोड़ा भय तो बना रहेगा. ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब प्रशासन स्वयं नियमों का पालन नहीं करवा पाता, तो आम नागरिकों से उसकी अपेक्षा करना कितना न्यायसंगत है. यदि नगर निगम की चेतावनी केवल औपचारिकता है, तो बेहतर होगा कि वह खुद ही उसे हटा ले — ताकि जनता को यह स्पष्ट संकेत मिले कि इस शहर में नियमों की कोई विश्वसनीयता नहीं बची है.
इस पूरे घटनाक्रम से एक बात साफ है कि जब प्रशासनिक आदेशों का उल्लंघन खुलेआम हो और उस पर कोई कार्रवाई न हो, तो कानून का भय धीरे-धीरे खत्म हो जाता है. यह केवल एक बोर्ड या बैनर का मामला नहीं, बल्कि शासन और व्यवस्था की गंभीरता पर सीधा सवाल है. अब देखना यह होगा कि नगर निगम जबलपुर इस मामले में कोई कार्रवाई करता है या नहीं. लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट है कि शहर में आदेशों का नहीं, मनमर्जी का राज है.
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