जबलपुर। राजस्थान में बस ऑपरेटरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल का सीधा और गंभीर असर मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों पर पड़ा है। जबलपुरए भोपाल और इंदौर जैसे बड़े शहरों से राजस्थान की ओर जाने वाली 200 से अधिक स्लीपर और लग्जरी बसों का परिचालन पूरी तरह से रुक गया है। जिससे त्योहारों और शादियों के सीजन से ठीक पहले हजारों यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले 48 घंटों से मध्य प्रदेश के इन तीनों शहरों के मुख्य बस अड्डों और निजी ट्रेवल एजेंटों के कार्यालयों पर अराजकता और निराशा का माहौल है। जयपुर, उदयपुर, कोटा, अजमेर, भीलवाड़ा और जोधपुर जैसे प्रमुख राजस्थानी शहरों के लिए रोजाना चलने वाली बस सेवाएं अचानक थम जाने सेए जिन यात्रियों ने पहले ही अपनी बुकिंग करा ली थी, वे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। जबलपुर के आईएसबीटी (अंतरराज्यीय बस टर्मिनल) और तीन पत्ती चौराहे से संचालित होने वाली करीब 40 बसों का संचालन पूरी तरह से बाधित है। कई यात्रियों ने बताया कि उन्हें हड़ताल की जानकारी अंतिम समय में दी गई। जिससे उनके पास कोई वैकल्पिक व्यवस्था करने का समय नहीं बचा। एक यात्री रमेश साहू जिन्हें जयपुर में अपनी बहन की शादी के लिए जाना था, ने बताया मैंने दो हफ्ते पहले ही स्लीपर बस की बुकिंग करा ली थी। अब अचानक बताया गया कि बस नहीं जाएगी। ट्रेन में जगह नहीं है और हवाई जहाज का किराया दोगुना हो चुका है। यह हड़ताल हमारे पूरे कार्यक्रम को खराब कर रही है। इंदौर और भोपाल से राजस्थान रूट पर चलने वाली बसों की संख्या सबसे अधिक है। जहां करीब 160 से ज्यादा बसों का पहिया थम गया है। इंदौर जिसे देश के प्रमुख लॉजिस्टिक्स हब में से एक माना जाता है वहां से कई लोग व्यापार और निजी कारणों से राजस्थान आते-जाते हैं। इस हड़ताल ने न केवल यात्री आवागमन को रोका है, बल्कि पार्सल और छोटे माल के ट्रांसपोर्टेशन को भी प्रभावित किया हैए जो आमतौर पर इन्हीं स्लीपर बसों के माध्यम से भेजा जाता है।
ऑपरेटरों की मांग और सरकार का रुख-
यह हड़ताल मुख्य रूप से राजस्थान के निजी बस ऑपरेटरों द्वारा अपनी विभिन्न मांगों को लेकर बुलाई गई है। उनकी मुख्य मांगों में टैक्स में कमी, परमिट नियमों में ढील और डीजल की कीमतों पर राहत शामिल है। ऑपरेटरों का तर्क है कि बढ़ती परिचालन लागत और सरकार की कठोर नीतियों के कारण उनका व्यवसाय गंभीर संकट में है। उनका कहना है कि वे अनिश्चितकाल तक हड़ताल पर तब तक रहेंगे जब तक उनकी मांगों पर ठोस सरकारी आश्वासन नहीं मिलता।
मध्य प्रदेश पर गहराता संकट-
मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसारए वे स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं। चूंकि यह हड़ताल पड़ोसी राज्य में है इसलिए मध्य प्रदेश सरकार सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकती। हालांकि उन्होंने रेलवे से अतिरिक्त सेवाएं चलाने और यात्रियों की सहायता के लिए हेल्पलाइन शुरू करने की अपील की है।
किराया बढ़ा, विकल्प घटे-
बसें रुकने के कारण जिन यात्रियों को किसी भी हाल में राजस्थान पहुंचना है, उन्होंने ट्रेन और हवाई यात्रा का रुख किया है। इससे न केवल ट्रेनों में तत्काल कोटे की मांग बेतहाशा बढ़ गई है, बल्कि आखिरी मिनट में हवाई टिकटों के दाम भी दोगुने से तिगुने हो गए हैं। जिससे आम आदमी की जेब पर भारी बोझ पड़ रहा है। कई निजी टैक्सियां और छोटी टूर ऑपरेटर कंपनियां इस स्थिति का फायदा उठाते हुए मनमाना किराया वसूल रही हैं। बस यात्रियों की भीड़ अब प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर जमा हो गई है। जहां वे वेटिंग लिस्ट क्लियर होने की उम्मीद में घंटों बिता रहे हैं। यह हड़ताल मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच के मजबूत सामाजिक और व्यापारिक रिश्तों को भी प्रभावित कर रही हैए जो आमतौर पर इन बस सेवाओं पर निर्भर रहते हैं।




