ई-रिक्शा की जानलेवा दौड़ खराब बैटरियों से सुरक्षा खतरे में, इंदौर हादसे के बाद प्रशासन पर दबाव

ई-रिक्शा की जानलेवा दौड़ खराब बैटरियों से सुरक्षा खतरे में, इंदौर हादसे के बाद प्रशासन पर दबाव

प्रेषित समय :20:31:33 PM / Mon, Dec 1st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर.शहर की सड़कों पर दौड़ रहे हजारों ई-रिक्शा अब न केवल यातायात का साधन हैं, बल्कि समय के बम बनकर घूम रहे हैं, और इसकी मुख्य वजह है इन वाहनों के दिल यानी बैटरी की अनदेखी। हाल ही में इंदौर में ई-रिक्शा की बैटरी में आग लगने और उससे हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है, और अब इस हादसे की तपिश सीधे जबलपुर तक आ पहुंची है। स्थानीय लोगों और यात्री सुरक्षा संगठनों के बीच इस बात को लेकर गहरी चिंता और जिज्ञासा है कि क्या जबलपुर का यातायात प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है, जबकि शहर में बेतरतीब ढंग से और बिना किसी नियमित जांच के ई-रिक्शा का संचालन धड़ल्ले से जारी है।

जबलपुर, जो अपनी संकरी गलियों और भीड़ भाड़ वाले बाजारों के लिए जाना जाता है, वहाँ ई-रिक्शा की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में विस्फोटक वृद्धि हुई है। ये वाहन प्रदूषण कम करने और रोजगार देने का वादा तो पूरा कर रहे हैं, लेकिन इनके संचालन में सुरक्षा मानकों की जिस तरह अनदेखी हो रही है, वह किसी भी क्षण एक बड़ी त्रासदी को जन्म दे सकती है। इंदौर में जो घटना हुई, वह एक ज्वलंत उदाहरण है कि पुरानी, खराब गुणवत्ता वाली, या ओवरचार्ज की गई लिथियम-आयन बैटरियाँ किस कदर जानलेवा साबित हो सकती हैं।

जबलपुर में अधिकांश ई-रिक्शा मालिक लागत कम रखने के लिए या तो नकली, घटिया किस्म की बैटरियों का इस्तेमाल करते हैं, या फिर वे निर्धारित समयसीमा के बाद भी पुरानी बैटरियों को बदलने से बचते हैं। इसके अलावा, कई रिक्शा चालक अधिक माइलेज और तेज गति पाने के लालच में बैटरी को ओवरचार्ज करते हैं या उसमें अनधिकृत बदलाव करवाते हैं। यह सब मिलकर एक खतरनाक रसायन और बिजली का कॉकटेल तैयार करता है, जो थोड़ी सी गर्मी, अत्यधिक चार्जिंग, या शॉर्ट सर्किट होने पर आग के गोले में बदल सकता है। यह स्थिति तब और भी खतरनाक हो जाती है जब यात्री भरे हुए ई-रिक्शा अचानक आग की चपेट में आ जाएं, जिससे भगदड़ और जानमाल का बड़ा नुकसान हो सकता है।

स्थानीय परिवहन विभाग और यातायात पुलिस की ओर से इस मामले में नियमित निरीक्षण का पूर्ण अभाव दिख रहा है। ई-रिक्शा को परमिट देते समय या उनके नवीनीकरण के समय बैटरी की गुणवत्ता, उसकी उम्र, और उसकी सही फिटिंग की जाँच को औपचारिकता तक सीमित कर दिया गया है। रिक्शा चालकों को न तो सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जा रहा है और न ही उन्हें बैटरी के सही रखरखाव का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यही वजह है कि शहर के अधिकांश स्टैंडों पर ऐसे रिक्शा देखे जा सकते हैं जिनकी बैटरियाँ खुली हैं, तारें लटकी हैं, और चार्जिंग पॉइंट खतरनाक तरीके से उजागर हैं।

यात्री सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि प्रशासन को तुरंत प्रभाव से विशेष सुरक्षा ऑडिट शुरू करना चाहिए। यह ऑडिट न केवल ई-रिक्शा के फिटनेस प्रमाण पत्र की जाँच करे, बल्कि बैटरी के उत्पादन की तारीख, उसकी गुणवत्ता प्रमाणन (BIS मानक) और चार्जिंग प्रक्रिया का भी निरीक्षण किया जाना चाहिए। इसके अलावा, ऐसे नकली बैटरी वितरकों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए जो यात्रियों की जान जोखिम में डालकर मुनाफा कमा रहे हैं।

जबलपुर के नागरिक अब सवाल उठा रहे हैं कि इंदौर में दुर्घटना होने के बाद भी, यहाँ की ट्रैफिक व्यवस्था क्यों नहीं चेत रही है। क्या प्रशासन तब तक सख्त कदम नहीं उठाएगा जब तक कि जबलपुर में भी कोई ऐसी ही दिल दहला देने वाली घटना न घट जाए? लोगों की जिज्ञासा इस बात में है कि इतनी गंभीर और जानलेवा चूक के बावजूद, प्रशासन की ओर से अब तक कोई सार्वजनिक एडवाइजरी या तत्काल कार्रवाई की घोषणा क्यों नहीं की गई है। शहर की जनता मांग करती है कि परिवहन विभाग तुरंत सभी ई-रिक्शा की बैटरियों की जांच का आदेश दे और सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जाए ताकि यात्रियों की जान जोखिम में न पड़े। यह केवल यातायात का मामला नहीं है, यह मानव जीवन की सुरक्षा का गंभीर मुद्दा है, जिस पर तुरंत ध्यान देना अत्यावश्यक है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-