नज़रिया. केन्द्र की मोदी सरकार शुरू से ही जनहित-देशहित के सवालों का जवाब नहीं देती है.
विपक्षी दलों के नेता यदि सवाल पूछे तो उन्हें तो सही जवाब देने के बजाय असंबद्ध व्यक्तिगत टिप्पणियां की जाती हैं और यदि बीजेपी का नेता सवाल करे तो उस पर चुप्पी साध ली जाती है.
चीन के मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कई सवाल किए, लेकिन केन्द्र सरकार ने कोई जवाब देना जरूरी नहीं समझा.
यही नहीं, बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी चीन को लेकर भारत सरकार की नीति पर सवाल उठाए हैं, लेकिन जवाब में खामोशी छाई हुई है.
खबरें हैं कि सुब्रमण्यम स्वामी ने विदेश मंत्रालय के पुराने बयान का हवाला देते हुए कहा है कि जब चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी भारत की सीमा में आई ही नहीं थी, तो फिर अब वापसी की बात कैसे की जा रही है?
सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया- पहले बयान को हल किया जाना चाहिए. पहले विदेश मंत्रालय ने कहा था कि चीनी सेना कभी एलएसी पार करके भारतीय क्षेत्र में नहीं आई थी, लेकिन अब उसका कहना है कि यह सरकार की बड़ी कूटनीतिक और सैन्य जीत है, चीनी सेना ने भारतीय इलाके से वापसी शुरू कर दी है, क्या दोनों बातें एकसाथ सही हो सकती हैं?
याद रहे, इससे पहले भी 15 फरवरी को सुब्रमण्यम स्वामी ने पैंगोंग लेक पर तनाव खत्म करने को लेकर हुए करार से जुड़ी खबर शेयर करते हुए टिप्पणी की थी कि- भारत और चीन ने अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में वापस आने पर सहमति जताई है. इसके साथ ही उन्होंने लिखा था कि यह नोट करने की बात है कि देपसांग पर अब भी कोई फैसला नहीं हुआ है, जबकि पैंगोंग लेक पर हम अपनी स्थिति से पीछे हटे हैं. सुब्रमण्यम स्वामी चीन सीमा से जुड़े मुद्दे पर अक्सर टिप्पणियां करते रहे हैं और उनकी राय, केन्द्र सरकार की राय से कई बार अलग भी रही है, जिससे केन्द्र सरकार उलझन में पड़ जाती है.
कभी बीजेपी नेता रहे शत्रुघ्न सिन्हा भी इसी तरह के सवाल मोदी सरकार से करते थे, उन्हें भी कभी जवाब नहीं दिया गया, लेकिन उनके सामने ऐसे सियासी हालात पैदा कर दिए गए कि अंततः उन्होंने बेमन से बीजेपी छोड़ दी!
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अभिमनोजः रसोई गैस-पेट्रोल-डीजल ने अच्छे दिनों की उम्मीदों में ही आग लगा दी है?
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