प्रदीप द्विवेदी: गुजरात में सियासी सूरत बदलने का राजनीतिक राज!

प्रदीप द्विवेदी: गुजरात में सियासी सूरत बदलने का राजनीतिक राज!

प्रेषित समय :07:25:35 AM / Sat, Feb 27th, 2021

न्यूज-व्यूज. गुजरात में आम आदमी पार्टी का प्रभावी उदय कई सियासी संकेत दे रहा है.

सूरत में सफलता के बाद रोड शो के लिए वहां पहुंचे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का कहना है कि- गुजरात में पहली बार बीजेपी को किसी पार्टी ने आंख दिखाई है. बीजेपी ने 25 सालों से गुजरात में दूसरी पार्टियों को कंट्रोल कर रखा है.

याद रहे, सूरत महानगरपालिका की कुल 120 सीटों में से बीजेपी 93 और आप ने 27 सीटें जीती हैं. 27 सीटों के साथ आप मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई है. कांग्रेस का वहां खाता भी नहीं खुला है.

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी के अच्छे नेता अपनी-अपनी पार्टी छोड़कर हमारी पार्टी में आ जाएं. कांग्रेस में कुछ अच्छे नेता हैं. अच्छे नेता अपनी पार्टी छोड़कर, हमारी पार्टी में आ जाएं. उन्होंने गुजरात की जनता से भी कहा कि- हमें पांच साल दे दो, बीजेपी के 25 साल भूल जाओगे.

दरअसल, अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के सियासी समीकरण का राजनीतिक तोड़ तलाश लिया है, जिसके दम पर वे दिल्ली विधानसभा में कामयाबी का परचम लगातार लहरा रहे हैं और धीरे-धीरे ही सही, अन्य राज्यों में भी आगे बढ़ रहे हैं.

कांग्रेस आज भी परंपरागत राजनीतिक रथ पर सवार है, जबकि कुछ वर्षों में देश के सियासी समीकरण में बड़े बदलाव आए हैं.

सबसे बड़ा बदलाव धर्म को लेकर आया है. हालत यह है कि कांग्रेस के हिन्दू मतदाता बीजेपी की ओर चले गए हैं, तो मुस्लिम वोट क्षेत्रीय दलों के खाते में जा रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल धर्म के मुद्दे पर राजनीतिक संतुलन कायम करने में कामयाब हुए हैं. दिल्ली के पिछले विधानसभा चुनाव में केजरीवाल को पता था कि मुस्लिम वोट तो बीजेपी को नहीं मिलेंगे, लिहाजा आप के एक पक्ष ने मुस्लिम मतदाताओं पर ध्यान दिया, तो खुद अरविंद केजरीवाल हिन्दू धर्म की राजनीति में रम गए.

इसके अलावा, आज की चुनावी राजनीति में सियासी प्रबंधन की बड़ी भूमिका है. कांग्रेस आज भी परंपरागत राजनीतिक रणनीति पर काम कर रही है, जबकि अरविंद केजरीवाल का सियासी प्रबंधन वैसा ही है, जैसा बीजेपी का, विरोधियों की उपलब्धियों को नज़रअंदाज़ करना और अपनी उपलब्धियों को बेहतर तरीके से पेश करना, उन्हें अच्छे से आता है.

बीजेपी से एक कदम आगे, वे जनता की छोटी-छोटी प्रत्यक्ष सुविधाओं पर फोकस हैं, जबकि बीजेपी बड़ी-बड़ी योजनाओं में उलझी हुई है, जिनका तत्काल लाभ न तो जनता को मिल रहा है और न ही नजर आ रहा है.

गुजरात के ताजा चुनाव में बीजेपी की जीत उतनी महत्वपूर्ण नहीं है, जितनी आम आदमी पार्टी की प्रभावी मौजूदगी खास है, क्योंकि इन शहरी चुनावों में तो उसे ही कामयाबी मिलती है, जिसकी प्रदेश में सरकार होती है, लेकिन किसी और की प्रभावी मौजूदगी खतरे की घंटी है.

याद रहे, गुजरात विधानसभा चुनाव भी करीब आते जा रहे हैं और आम आदमी पार्टी को वहां सफलता की रोशनी भी नजर आ गई है!

अनुपम खेर का सवाल- अगर देश बेचने वाले एक हो सकते हैं.... तो देश बचाने वाले एक क्यों नहीं हो सकते?

https://palpalindia.com/2021/02/25/bollywood-Anupam-Kher-Tweet-Life-Summary-Changed-Artist-news-in-hindi.html

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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