नजरिया. पश्चिम बंगाल में प्रचार के मोर्चे पर भले ही बीजेपी आगे हो, लेकिन यह जीत की गारंटी नहीं है, यही वजह है कि वहां सीएम ममता केे लिए सत्ता बचाने की चुनौती से भी बड़ी चुनौती है- बीजेपी के लिए सत्ता हांसिल करने की!
वजह? पश्चिम बंगाल में बीजेपी के लिए अच्छी खासी संख्या में सीटें हांसिल करना भले ही संभव हो, परन्तु यदि उसे स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो सरकार बनाना बेहद मुश्किल होगा, क्योंकि न तो उसे टीएमसी का समर्थन मिलेगा और न ही वाम-कांग्रेस गठबंधन का सहयोग मिलेगा, मतलब- बीजेपी को जो भी करना है, अपने दम पर ही करना होगा. पश्चिम बंगाल चुनाव में सीएम ममता और पीएम मोदी, दोनों की सियासी इज्जत दांव पर है.
पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने अपने तमाम स्टार प्रचारकों को चुनाव प्रचार में उतार दिया है. खबरों पर भरोसा करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र स्वयं अगले दो महीनों में करीब बीस बड़ी रैलियां करने जा रहे हैं, जिसका मकसद है, अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचना.
हालांकि, इस पर टीएमसी का कहना है कि प्रधानमंत्री यहां आकर तृणमूल कांग्रेस के शासन में हुए विकास को देखें और उनकी तुलना बीजेपी शासित राज्यों के साथ करें. इतना ही नहीं, टीएमसी का कहना है कि मोदी जितनी बार चाहें उतनी बार आना चाहें तो उनका स्वागत हैं. वे यहां आ कर देखें कि कैसे बंगाल ने विकास के पैमाने पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को पीछे छोड़ दिया है.
जिस तेवर के साथ टीएमसी बीजेपी को सियासी जवाब दे रही है, उससे तो लगता है कि बीजेपी को पश्चिम बंगाल में हैदराबादी जीत ही मिल पाएगी!
जनता परेशान, लेकिन बीजेपी गुजरात, कांग्रेस पंजाब और आप दिल्ली के प्रमाण-पत्र लेकर खुश हैं!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-G-23 में शामिल कांग्रेस नेता ने पश्चिम बंगाल में आईएसएफ के साथ गठबंधन को बताया शर्मनाक
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