नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के हाईकोर्ट के उस निर्णय को खारिज कर दिया है जिसमें एक यौन शोषण के आरोपी द्वारा पीडि़ता को राखी बांधे जाने को जमानत का आधार बताया गया था.
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान 30 वर्षीय विवाहिता से यौन शोषण करने के आरोपी की जमानत अर्जी मंजूर करते वक्त अनूठी शर्त लगाते हुए उसे रक्षाबंधन के दिन महिला के घर जाकर उससे राखी बंधवाने का आदेश दिया था. साथ ही भविष्य में एक भाई की तरह हर हाल में उसकी रक्षा करने का वचन देने और आशीर्वाद लेने को कहा था. हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की महिला वकीलों द्वारा याचिका दायर की गई थी.
अब इस मामले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोटज़् ने कहा है कि फैसला देते वक्त न्यायाधीशों को स्टीरियोटाइप से बचना चाहिए. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने ये फैसला जुलाई 2020 में दिया था. जज ने फैसला देते वक्त आरोपी से ये भी कहा था कि वो रक्षा बंधन पर पीड़ित को एक भाई के रूप 11 हजार रुपये भी दे.
इससे पहले हुई बहस के दौरान याचिकाकर्ता वकीलों की तरफ से संजय पारिख ने कहा था कि इस तरह कि शर्त वाले निर्देश के मामले में हम सिर्फ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट नहीं, बल्कि सभी हाईकोर्ट और निचली अदालत के लिए निर्देश चाहते हैं.
इस याचिका में कहा गया था कि जमानत की ऐसी शर्त, जो आरोपी को विक्टिम से मिलकर उससे माफी मांगने, उससे राखी बंधवाने के लिए कहती है, उससे घबराकर हो सकता है कि लड़कियां और औरतें शिकायत ही न करें.
इस तरह के मामलों में परिवार और आरोपी के दबाव में अक्सर विक्टिम अपना बयान बदल लेती हैं. ऐसी शर्तें उस पर और अधिक प्रेशर डालेंगी. याचिका में ये भी कहा गया था कि बेल की इस तरह की शर्तें विक्टिम की तकलीफ को और अधिक बढ़ाती हैं, क्योंकि ये आरोपी को विक्टिम से मिलने की, उनके घर में घुसने की आजादी देते हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-इमरान खान की बढ़ी मुसीबत, पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आप सरकार चलाने में सक्षम नहीं
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