नई दिल्ली. भारतीय सेना खुद को ज्यादा आधुनिक और ज्यादा कारगर बनाने की तैयारी में है. भारतीय सेना में अगले कुछ सालों में एक लाख सैनिकों की कटौती की जाएगी और उससे होने वाली बचत का इस्तेमाल सेना को नई तकनीक देने के लिए किया जाएगा. अभी भारतीय सेना में लगभग 14 लाख सैनिक हैं और ये संख्या बल में केवल चीन से पीछे हैं. अब इसमें उन सैनिकों की संख्या घटाई जाएगी, जो सीधे सैनिक कार्रवाइयों में भाग नहीं लेते बल्कि सर्विस, मैकेनिक जैसे काम करते हैं.
कम किए जाएंगे 1 लाख सैनिक
इससे सरहद पर तैनात सैनिक को बेहतर हथियार और नए उपकरण मिल पाएंगे. रक्षा मामलों की संसदीय समिति ने पिछले महीने ही अपनी रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत की है. इस रिपोर्ट में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने अपनी राय रखते हुए बताया है कि अब सेना तकनीक पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना चाहती है और नए तरीके के युद्ध के लिए खुद को तैयार करना चाहती है.
उन्होंने कहा, पहले सेना दूर के इलाकों में तैनात होती थी तो उसे अपने सारे इंतजाम खुद करने होते थे, लेकिन अब इंफ्रास्ट्रक्चर बनने के कारण उसकी जरूरत नहीं रह गई है. जैसे पहले सेना में बेस रिपेयर डिपो होते थे, जिनमें गाडिय़ों की मरम्मत की जाती थी. लेकिन अब इन्हें आउट सोर्स किया जा सकता है. जैसे अगर टाटा कंपनी की कोई गाड़ी है, तो उसे मरम्मत के लिए टाटा की वर्कशॉप में भेजा जा सकता है. इससे जो बचत होगी उसे सेना स्पेस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई तकनीकों पर खर्च करना चाहती है जो युद्ध के नए तरीकों के लिए जरूरी है.
समझिए क्या है टूथ टु टूल
सेना में सैनिक कार्रवाइयों में सीधे भाग लेने वाले यानी कॉम्बेटेंट सैनिकों को टूथ कहा जाता है जिसमें इंफेंट्री, आर्टिलरी और आर्म्ड सैनिक आते हैं. इनको जरूरी सहायता देने वाले यानी रसद, गोला बारूद पहुंचाने वाले, गाडिय़ों और जरूरी साजोसामान की मरम्मत करने वाले जैसे सैनिक टेल कहलाते हैं. अगर टेल बड़ी होती गई तो उसका बुरा असर टूथ यानी कॉम्बेंटेंट की संख्या पर पड़ता है. इसलिए सेना इस अनुपात को कम रखना चाहती है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जबलपुर में भारतीय सेना के लिए बनाए गए बमों से बारुद निकालकर खोखे ले गए चोर..!
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