पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश में कोरोना कहर के साथ साथ अब ब्लैक फंगस नामक बीमारी का प्रकोप भी शुरु हो गया है, जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल अस्पताल में कोरोना से स्वस्थ होने के बाद मरीजों में ब्लैक फंगस के लक्षण देखे गए है, जिसमें अभी तक दो लोगों की मौत हो चुकी है.
जबलपुर मेडिकल कालेज अस्पताल के डाक्टरों ने बताया कि देवांशु वर्मा निवासी गुप्तेश्वर को 2 अप्रेल को कोरोना संक्रमण के कारण निजी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां पर वेंटीलेटर की जरुरत पडऩे पर परिजनों ने 15 अप्रेल को मेडिकल अस्पताल में भरती कराया, यहां पर उपचार के बाद देवांशु की रिपोर्ट निगेटिव हो गई, जिसके चलते उन्हे जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया, 25 अप्रेल को उनके चेहरे व आंख में सूजन आने लगी, डाक्टरों ने उपचार शुरु किया लेकिन उस वक्त तक फंगस दिमाग तक पहुंच गया, डाक्टरों ने आपरेशन किया लेकिन 3 मई को युवक की मौत हो गई, परिजनों का कहना था कि देवांशु मधुमेह की बीमारी से भी पीडि़त रहा. इसके अलावा पाटन निवासी एक शिक्षक भी एक माह पहले कोरोना संक्रमित हुए थे, जो कोरोना संक्रमण से तो मुक्त हो गए लेकिन उनकी तबियत बिगडऩे लगी और धीरे धीरे आंख की रोशनी कम होने लगी, अस्पतालों में इलाज कराया लेकिन फंगस ठीक नहीं हुआ, जिसके चलते परिजन उन्हे घर लेकर आ गए और उनका एक दिन पहले निधन हो गया.
इसी तरह शहपुर जमुनिया के ग्राम मनखेड़ी में रहने वाले युवक को भी कुछ दिनों पहले बुखार आया था, स्थानीय स्तर पर इलाज कराने के बाद स्वस्थ हो गया लेकिन कुछ ही दिन बाद चेहरे पर सूजन आने लगी और आंखे बंद हो गई, जबलपुर में उपचार कराने के लिए पहुंचे और मधुमेह की जांच कराई तो 4 सौ रही, डाक्टरों ने बताया कि इन्हे भी ब्लैक फंगस के लक्षण रहे. डाक्टरों का कहना है कि पहले व्यक्ति कोरोना पाजिटिव होता है, फिर उपचार के बाद निगेटिव हो जाता है, चार से पांच दिन बाद ब्लैक फंगस नामक बीमारी की चपेट में आ जाता है. विशेषज्ञ डाक्टरों की माने तो इस बीमारी की चपेट में वे ही लोग आते है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, कोरोना संक्रमण के दौरान पीडि़त को स्टेरायड का हाईडोज दिया जाता है,
जिससे ब्लैक फंगस होने का खतरा बढ़ जाता है, साथ ही वे मरीज जिन्हे लगातार आक्सीजन लग रही हो, कई बाद आक्सीजन की नली साफ न किए जाने से भी फैलता है, हालांकि बार बार आक्सीजन पाइप बार-बार साफ करना भी संभव नहीं हो पाता है, नाक के रास्ते से यह आंख व ब्रेन को भी नुकसान पहुंचाता है. खबर है कि अभी भी मेडिकल अस्पताल में 12 ऐसे मरीज भरती है, जिनमें ब्लैक फंगस के लक्षण पाए गए है, जिनके उपचार में डाक्टरों की टीम जुटी हुई है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एमपी के जबलपुर में कोरोना पाजिविट मरीज के घर लाखों रुपए की चोरी..!
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