नई दिल्ली. एक तरफ लगातार कोरोना की पहली व दूसरी लहर में अपनी जान जोखिम में डालकर रेल कर्मचारी निरंतर फ्रंट लाइन वर्कर की तरह मुस्तैदी से देश की सप्लाई चैन, प्राण वायु ऑक्सीजन को पहुंचाने में निरंतर जुटे हुए हैं, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि केंद्र सरकार ने रेल कर्मचारियों को फ्रंट लाइन वर्कर मानने से इंकार कर दिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को लिखे पत्र में स्पष्ट कर दिया गया है. आल इंडिया रेलवेमैंस फेडरेशन (एआईआरएफ) महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने इस मामले में कड़ी आपत्ति जताते हुए राजेश भूषण, सचिव स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार को पत्र लिख कर नाराजगी व्यक्त की है.
इस संबंध में एआईआरएफ के असिस्टेंट जनरल सेक्रेट्री व वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन (डबलूसीआरईयू) के महामंत्री मुकेश गालव ने बताया कि केंद्र सरकार ने रेल कर्मचारियों को फ्रंट लाइन वर्कर की श्रेणी में शामिल नहीं किया है. उसने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के पत्र संख्या 1962432/2020/आईएमएम दिनांक 15.05.2021 में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि वे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (आपके उपरोक्त पत्र के पैरा 3) द्वारा संप्रेषित श्रेणियों से परे फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणियों में कोई अतिरिक्त न जोड़ें. जिस पर एआईआर महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा नेने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिख कर आक्रोश जताया है.
एआईआरएफ ने यह आपत्ति जताई
भारतीय रेल देश की रक्षा की दूसरी पंक्ति है और रेलकर्मी हमेशा संकट के समय खड़े रहे हैं, सभी मौसमों में चौबीसों घंटे सभी बाधाओं का बहादुरी से सामना करते हुए, राष्ट्र का पहिया चलाने के लिए जुटे हैं, ताकि पूरे देश में आवश्यक सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित बनी रहे, साथ ही जरूरतमंंद यात्रियों को उसके गंतव्य तक पहुंचाकर राष्ट्र की सेवा कर रहा है. रेलवे कर्मचारी देशव्यापी तालाबंदी के दौरान भी घर पर नहीं रह सकते थे, खाद्यान्न, चीनी, पेट्रोलियम उत्पाद, चिकित्सा उपकरण, दवाएं, खराब होने वाली वस्तुओं, दूध सहित आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बड़ी संख्या में मालगाडिय़ों के साथ-साथ समय सारिणी पार्सल ट्रेनों का संचालन करने में जुटे रहे. इसके अलावा रेलकर्मियों ने फंसे मजदूरों को उनके घर पहुंचाया. रेलकर्मियों द्वारा बड़ी संख्या में श्रमिक स्पेशल ट्रेनें भी चलाई गईं और कोविड-19 महामारी की स्थिति के दौरान 60 लाख से अधिक फंसे हुए श्रमिकों को उनके गृह गंतव्य तक पहुंचाया गया.
1 लाख से ज्यादा रेलकर्मी कोरोना प्वाजिटिव, 2 हजार से ज्यादा हुए शहीद
एआईआरएफ महामंत्री श्री मिश्रा ने बताया कि लगभग एक लाख रेलवे कर्मचारी कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए थे और यह संख्या इस समय तक अधिक हो सकती है. इसके अलावा, लगभग दो हजार रेलकर्मियों ने इस महामारी के दौरान अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपने बहुमूल्य जीवन का बलिदान दिया है. अधिकांश रेलकर्मी फ्रंटलाइन वर्कर्स के मानदंडों को पूरा करते हैं, भारत के प्रधान मंत्री ने पहले ही कोविड-19 महामारी के दौरान रेलकर्मियों के प्रदर्शन की सराहना की है और उन्हें कोरोना वारियर्स कहा है.
रेलकर्मियों को कोरोना वारियर्स से क्यों वंचित किया
एआईआरएफ ने आपत्ति जताते हुए कहा कि उनका फेडरेशन शुरू से ही विभिन्न संवर्गों के बीच समानता की मांग कर रहा है. इस कोरोना काल में और अपने कीमती जीवन को कुर्बान कर रहे हैं. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि जहां मेडिकल स्टाफ और पुलिस कर्मियों आदि को फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में माना जा रहा है, वहीं रेलकर्मियों को इससे वंचित कर दिया गया है, जो पूरी तरह से अनुचित है.
रेल कर्मियों को तत्काल कोरोना वारियर्स माने
एआईआरएफ महामंत्री ने अपने पत्र में स्पष्ट कहा है कि अपने कर्तव्यों का पालन करने के दौरान एक लाख से अधिक कोरोना संक्रमित रेलकर्मियों और 2 हजार से ज्यादा स्टाफ की मौतों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, लाखों रेलकर्मियों का आग्रह है कि आप फ्रंटलाइन वर्कर्स श्रेणी में रेलकर्मियों को शामिल न करने के निर्णय की समीक्षा करें और रेलवे कर्मचारियों को सभी उद्देश्यों के लिए फ्रंटलाइन वर्कर्स के रूप में माना जाना चाहिए, जिसमें टीकाकरण में प्राथमिकता में करना शामिल है, ताकी रेल कर्मचारी व उनके परिवार को कोरोना की महामारी से प्राथमिकता के साथ बचाव किया जा सके.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पास के लिए दर-दर भटक रहे रेल कर्मचारी, टिकिट खरीदकर यात्रा करने मजबूर, डबलूसीआरईयू सख्त
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