कोटा. रेल कर्मचारियों को फ्रंट लाइन वर्कर घोषित करने की मांग को लेकर आज 7 जून सोमवार को आल इंजिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) व वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन (डबलूसीआरईयू) के संयुक्त तत्वावधान में देश भर के 3 लाख से अधिक कर्मचारियों ने ट्विटर पर अभियान चलाया और अपनी मांग को लेकर प्रधानमंत्री, रेलमंत्री, हेल्थ मिनिस्ट्रिी, रेलवे बोर्ड को टिवट् करके विरोध दर्ज करवाया.
एआईआरएफ के असिस्टेंट जनरल सैक्रेट्री व डबलूसीआरईयू के महामंत्री मुकेश गालव ने बताया कि रेलकर्मचारियों को फ्रंटलाईन वर्कर घोषित करने के लिये रेलकर्मचारियों ने लाखों की संख्या में प्रधानमंत्री, रेलमंत्री, हेल्थ मिनिस्ट्रिी, रेलवे बोर्ड को टिवट् करके विरोध दर्ज करवाया.
24 घंटे पूरी शिद्दत से रेलवे को चलायमान रखने में जुटे रहे कर्मचारी
श्री गालव ने बताया कि कोरोना काल में भी 24 घंटे गाडिय़ों का संचालन कर अपनी डयूटी पूरी निष्ठा, ईमानदारी से करने में लगे है. यहां तक कि सबसे कठोर लॉकडाउन अवधि के दौरान भी वर्ष 2020 या 2021 भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाये रखने में प्रमुख योगदान रहा है. रेलवे में 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी संक्रमित हुये हैं और 2 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की मौत हो चुकी है. ऐसी विषम परिस्थितियों में रेलकर्मचारियों ने कोरोना महामारी में कोरोना वोरियर की भूमिका निभाई है. फिर भी केन्द्र सरकार द्वारा रेलकर्मचारियों को फ्रंटलाईन वर्कर नहीं माना जा रहा है.
रेल कर्मचारियों का जताया आभार
यूनियन के महामंत्री मुकेश गालव ने समस्त रेलकर्मचारियों को सोशल मिडिया के माध्यम से विरोध दर्ज करने पर रेलकर्मचारियों को धन्यवाद ज्ञापित किया है और बताया कि भारत सरकार रेलकर्मचारी को कोरोना फ्रंटलाईन वर्कर घोषित करना ही होगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-18+ वालों के लिए मई में 2 करोड़ खुराक खरीद सकते हैं राज्य, केंद्र ने तय किया कोटा
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