बसपा-अकालीगठजोड़ से बढ़ी कैप्टन-केजरीवाल की धड़कन

बसपा-अकालीगठजोड़ से बढ़ी कैप्टन-केजरीवाल की धड़कन

प्रेषित समय :21:46:02 PM / Sat, Jun 12th, 2021

विशेष संवाददाता, नई दिल्ली. ढाई दशक के बाद शिरोमणि अकाली दल और बसपा के गठबंधन ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की धड़कन बढ़ा दी है. 32 फीसदी दलित वोटों वाले इस राज्य में बसपा भले ही कोई चमत्कार नहीं कर पाई हो, लेकिन यह वोटबैंक चुनावी ध्रुवीकरण करता रहा है. आम आदमी पार्टी की बढ़त हो, या कांग्रेस की सत्ता में वापसी के पीछे इसी वोट का कमाल माना जाता है.

विधानसभा चुनाव को लेकर पंजाब की सियासत नित नए मोड़ लेने लगी है. अंदरूनी विवाद में उलझी कांग्रेस और हॉसिए में खड़ी भाजपा के बीच अकाली दल ने बसपा से गठजोड़ करके नई समीकरण पैदा कर दिए हैं. पिछला विधानसभा चुनाव और फरवरी में हुए स्थानीय निकास के चुनाव नतीजों को देखते हुए अकाली दल को यह बात अच्छी तरह से पता चल गया कि दलितों के समर्थन के बिना 2022 का विधानसभा चुनाव जीतना संभव नहीं है. इसीलिए अकाली दल प्रमुख ने तत्काल 25 साल पुरानी दोस्ती को अंजाम दे डाला. माझा और मालवा इलाके में अकाली दल की तगड़ी पैठ रही है. मालवा इलाके में 67 विधानसभा सीटें आती हैं. भाजपा के साथ गठबंधन में अकाली दल को यहां हिंदू वोटों का लाभ मिलता रहा है, लेकिन इस बार भाजपा से अलग होने की वजह से अकाली दल ने रणनीति बदली है. बसपा के साथ गठजोड़ करके दलितों के साथ-साथ हिंदू वोटरों को भी पाले में करने के लिए पार्टी जुगत लगा रही है. अकाली दल को पता है कि पंजाब की दो ध्रुव वाली राजनीति में सत्ता के लिए 40 प्रतिशत या उसके आसपास वोट हासिल करना जरूरी है. आम आदमी पार्टी ने पिछले चुनाव में जरूर पैठ बनाई थी, लेकिन इस बार चुनाव से पहले ही पार्टी बिखरी दिख रही है.

2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के उभार के बीच बड़ी जीत हासिल की थी. कांग्रेस ने 117 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 77 सीटों पर जीती था पार्टी को 38.5 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. वहीं आम आदमी पार्टी ने पहली बार चुनाव लड़कर लंबी छलांग लगाई थी. केजरीवाल की पार्टी ने 112 सीटों पर चुनाव लड़कर 20 सीटें जीती थी. हालांकि पार्टी को 23.7 प्रतिशत वोट मिले, जो अकाली दल से करीब 1.5 फीसदी कम था. अकाली दल ने 94 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 15 सीटें जीतीं. पार्टी को कुल 25.24 फीसदी वोट हासिल हुए थे. वहीं अकाली दल की गठबंधन सहयोगी भाजपा ने 23 सीटों पर चुनाव लड़कर 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी. भाजपा को कुल 5.39 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं बसपा ने 111 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन उसका खाता तक नहीं खुला, इसके बावजूद 1.52 प्रतिशत वोट लेकर आम आदमी पार्टी का काम बिगाड़ दिया था. स्थानीय निकास चुनाव में बसपा का प्रदर्शन अच्छा रहा है. कई सीटों पर बसपा के कारण अकाली और आम आदमी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है. लिहाजा, यह गठबंधन कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी धड़कन बढ़ा दिया होगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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