डिफेंस कर्मियों के समर्थन में डब्ल्यूसीआरईयू ने मनाया एकता दिवस, सरकार के अध्यादेश का किया विरोध

डिफेंस कर्मियों के समर्थन में डब्ल्यूसीआरईयू ने मनाया एकता दिवस, सरकार के अध्यादेश का किया विरोध

प्रेषित समय :17:56:11 PM / Thu, Jul 8th, 2021

जबलपुर. केन्द्र सरकार द्वारा 30 जून को आवश्यक रक्षा सेवाएं अधिनियम 2021 संबंधी अध्यादेश जारी किया गया है, जिसका उद्देश्य नागरिक रक्षा कामगारों हेतु कार्यरत सभी मान्यता प्राप्त फेडरेशनों द्वारा संयुक्त रूप से आयुध निर्माणी परिषद को सात कंपनियों में तोडऩे तथा 41 आयुध निर्माणियों को निजीकरण के विरोध में आगामी 26 जुलाई 2021 से प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल को विफल बनाना है.

वेस्ट सेन्ट्रल रेलवे एम्पलाईज यूनियन के महामंत्री मुकेश गालव ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान बताया कि सभी मान्यता प्राप्त फेडरेशन लम्बे समय से विभिन्न शांतिपूर्ण एवं प्रजातांत्रिक तरीकों से सरकार के इस निर्णय का विरोध करते रहे है. धरने, जनसभाएं, सांकेतिक हड़ताल आदि के माध्यम से अपनी एकजुटता एवं आक्रोश प्रकट कर रहे हैं. हमारा संगठन हमेशा डिफेंस कर्मियों के साथ खड़ा है.

इसी तारतम्य में 26 जुलाई 2021 से राष्ट्रव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लेना पड़ा है. अब सरकार आवश्यक रक्षा सेवाएँ अध्यादेश ले आयी है, जो डिफेंस ऑफ इंडिया रूल, आंतरिक सुरक्षा संरक्षण अधिनियम तथा आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून से अधिक कड़े प्रावधानों से लैस है. अध्यादेश एक फासिस्ट प्रवृत्ति का प्रावधान है, जिसमें श्रमिकों के अधिकारों को समाप्त करने का प्रयास है.

उन्होंने बताया कि अध्यादेश की धारा 2 (1) (ए) ... व IV के अंतर्गत केन्द्रीय सरकार को अधिकार प्रदान करती है कि वह किसी भी प्रतिष्ठान को आवश्यक रक्षा सेवाऐ अधिसूचना जारी करके घोषित कर दे. इस अध्यादेश की धारा 2 (बी) में हड़ताल की व्यापक परिभाषा दी गयी है. काम रोकना, धीमा कार्य, सिट डाउन, स्टेइन, सांकेतिक हड़ताल, सहानुभूति हड़ताल, सामूहिक आकस्मिक अवकाश एवं ओवर टाईम से मना करना हड़ताल माने जायेगे.

इसके अलावा धारा 4 के अंतर्गत कोई पुलिस अधिकारी हड़ताली कर्मचारियों अथवा कर्मचारियों को उकसाने वाले के विरुद्ध ऐसी कोई भी कार्यवाही कर सकता है. जिसमें बल प्रयोग भी सम्मिलित हैं. धारा 5 हड़ताल मे भाग लेने वाले कामगारों की सेवा समाप्ति अध्यादेश की धारा 5 (2) (1) के अंतर्गत हड़ताल पर जाने, उसके लिये उकसाने के विरुद्ध कामगार की सेवा समाप्ती जैसे प्रावधान किये गये है.

उक्त प्रावधान श्रमजीवी वर्ग को 19वीं सदी के उत्तारा में ले जायेगें जब कारखानों में स्वामी एवं दास अथवा मालिक-सेवक का संबंध था. एआईआरएफ के आव्हान पर डब्ल्यूसीआरईयू ने गुरूवार 8 जुलाई को कोटा, भोपाल, जबलपुर में काले कानून को रद्द करने हेतु व्यापक विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार से आग्रह है कि श्रमिकों का दमन करने की बजाय इस अध्यादेश को वापस लिया जाये. सरकार की तानाशाही के विरोध मे सभी मजदूरों को भविष्य की लम्बी लड़ाई के लिये तैयार रहना चाहिए. इस दौरान डब्ल्यूसीआरईयू के मंडल सचिव नवीन लिटोरिया, बीएन शुक्ला आदि मौजूद रहे.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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