खरगोन. मध्य प्रदेश में खरगोन जिले के सत्राटी में करीब 4 सालों से बंद पड़ी एक निजी कपड़ा मिल के बाहर प्रदर्शन कर रही सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और 350 से अधिक लोगों को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया. इस मिल के मजदूरों के संगठन जनता श्रमिक संगठन की कार्यकारिणी के सदस्य राजकुमार दुबे ने बताया कि यह कपड़ा मिल एक नई कंपनी को बेच दी गई है, लेकिन नया प्रबंधन हमारे किसी भी पुराने मजदूर को अपनी इस कंपनी में काम पर नहीं रख रहा है.
उन्होंने कहा, “इस कपड़ा मिल के मालिक ने चार साल पहले हमें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) का प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन हमने इसे ठुकरा दिया था क्योंकि हम अपनी नौकरी चाहते थे.”
खरगोन जिले के पुलिस अधीक्षक (SP) शैलेन्द्र सिंह चौहान ने मीडिया को बताया कि सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से अतिक्रमण करके इस कपड़ा मिल के बाहर मजदूर बैठे थे, उन्हें भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 248 के तहत 48 घंटे का नोटिस हटने का दिया था. उन्होंने बताया कि नहीं हटने पर कसरावद उपमंडलीय अधिकारी (एसडीएम) की अगुवाई में नियमानुसार हटाने की कार्रवाई की गई.
उन्होंने कहा कि मेधा पाटकर और दूसरी महिलाओं सहित 360 प्रदर्शनकारी मजदूरों को कार्रवाई के दौरान सहयोग नहीं करने पर वहां से हटाया गया है और गिरफ्तार कर अस्थायी जेल में रखा गया है.
चौहान ने बताया, “मेधा पाटकर को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकारी के गेस्ट हाउस में रखा गया है, जबकि करीब 300 पुरूषों को आईटीआई कसरावद में और करीब 60 महिलाओं को कन्या छात्रावास में अस्थाई जेल में रखा गया है.” उन्होंने कहा कि मेधा पाटकर ने जमानत मुचलका भरने से इनकार कर दिया है, इसलिए उन्हें जमानत पर नहीं छोड़ा गया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एमपी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा महिला जेल कब तक
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