नवीन कुमार. मुंबई. महाराष्ट्र भाजपा अब ऐसे कदम उठाने लगी है जिससे उसका कट्टर मराठीवाद का चेहरा भी सामने आने लगा है. इतना ही नहीं उसने मराठी वोट पाने की लालसा में परोक्ष रूप से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला बोलने के साथ-साथ उत्तर भारतीय विरोधी नेता एवं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे के सुर में सुर मिलाना भी शुरू कर दिया है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने बीते दिनों राज से उनके मुंबई स्थित निवास स्थान कृष्णकुंज जाकर न सिर्फ मुलाकात की बल्कि उनकी चाय पीकर तरफदारी करते हुए कहा कि राज उत्तर भारतीय विरोधी नहीं हैं. उन्होंने यह भी कहा कि राज की यह मांग सही है कि यूपी से मुंबई आने वालों को यूपी में ही रोजगार मिलने चाहिए. यूपी वालों की वजह से ही मुंबई में भार बढ़ रहा है और अब यह मुंबई के लिए सहन करने लायक नहीं है. राज के इस राजनीतिक एजंडे का भाजपा की ओर से समर्थन करने से इसे योगी के खिलाफ सीधे-सीधे हमला माना जा रहा है. इसका दुष्परिणाम अगले साल यूपी में होने वाले विधानसभा के चुनावों में योगी के नेतृत्व वाली भाजपा को भुगतना पड़ सकता है. भाजपा का यकायक राज से बढ़ते प्रेम से भाजपा समर्थक उत्तर भारतीयों में भी गुस्सा उफान पर है. वहीं, शिवसेना सांसद अरविंद सावंत भाजपा पर स्वार्थ की राजनीति करने का आरोप लगाते हैं और कहते हैं कि अगर भाजपा का मनसे से गठबंधन हो जाता है तो भाजपा के नेता उत्तर भारतीयों को क्या जवाब देगी. उत्तर भारतीयों का विरोध करने और उनकी पिटाई करने में राज ठाकरे का नाम सबसे पहले आता है. इधर राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मुंबई और महाराष्ट्र के उत्तर भारतीय महाराष्ट्र भाजपा के नेताओं की अपेक्षा योगी की बात ज्यादा मानते हैं और उनके इशारे पर ही अपना वोट भी डालते हैं. इसलिए महाराष्ट्र भाजपा के नेताओं को योगी खटकते भी हैं. दूसरी ओर खासकर मुंबई में उत्तर भारतीय समाज अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए भाजपा के अलावा कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के साथ भी जुड़ा हुआ है. इस समय भाजपा में उत्तर भारतीयों की स्थिति अच्छी नहीं है. प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की आपसी दांव-पेंच के कारण भाजपा में उत्तर भारतीय ब्राह्मण और राजपूत खेमे में बंटे हुए हैं. इससे भाजपा को अपना राजनीतिक संकट साफ तौर पर दिख रहा है.
सत्ता सुख के बिना भाजपा बेचैन रहती है और महाराष्ट्र में भाजपा हर हाल में सत्ता पाने के लिए गंदी राजनीति का खेल भी खेल रही है. एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक का कहना है कि सत्ता के लिए भाजपा कुछ भी कर सकती है. सत्ता सुख के लिए ही भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती से हाथ मिलाकर सरकार बनाया था. इस समय भाजपा के सामने मुंबई महापालिका की सत्ता पाने का लक्ष्य है. फिलहाल इस पर शिवसेना का कब्जा है. पिछले चुनाव में भाजपा के 82 नगरसेवक चुनकर आए थे. बावजूद इसके भाजपा का मंसूबा अधूरा ही रह गया था. क्योंकि, राज ठाकरे की पार्टी के सात नगरसेवकों में से छह नगरसेवकों ने शिवसेना का दामन थाम लिया था. अब इस बार भाजपा को लग रहा है कि अगर उसका मनसे से चुनावी गठबंधन हो जाता है तो मुंबई महापालिका की सत्ता हासिल करना उसके लिए आसान हो जाएगा. लेकिन असलियत में भाजपा के लिए यह बहुत आसान नहीं है. मुंबई महापालिका के वार्डों की संरचना कुछ इस प्रकार है कि अधिकांश वार्डों में उत्तर भारतीय निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में हैं. इसलिए भाजपा इस गणित पर भी काम कर रही है कि अगर राज के सहारे शिवसेना के मराठी वोट में सेंध लगाई जाए तो भाजपा को चुनावी नैया पार लगाने में सहूलियत होगी. इस वजह से भाजपा के नेता राज को हीरो बनाने में लगे हैं. पाटील से पहले फडणवीस भी राज से संभावित गठबंधन को लेकर मंत्रणा कर चुके हैं. इससे उत्तर भारतीय समाज में नाराजगी फैल रही है. हालांकि, भाजपा ने उत्तर भारतीयों के वोट को समेटे रखने के लिए कुछ स्वार्थी उत्तर भारतीय नेताओं को विधान परिषद की एक सीट देने का सपना भी दिखा रही है.
प्रदेश में भाजपा की छवि छलावा पार्टी वाली बनी हुई है. पिछले विधानसभा के चुनावों के दौरान आरक्षण का लॉलीपॉप दिखाकर उसने मराठाओं के वोट बटोरे थे. लेकिन सुप्रीम अदालत में मराठा आरक्षण का फार्मूला फेल हो गया. इसका असर ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण पर भी पड़ा है. अब मराठा और ओबीसी के लोग भाजपा से दूरियां बढ़ा रहे हैं. इसलिए भाजपा डरी हुई है कि मुंबई महापालिका के अलावा ठाणे, नई मुंबई, कल्याण-डोंबिवली, पुणे, नासिक, नागपुर, औरंगाबाद, कोल्हापुर के महापालिकाओं के साथ जिला परिषदों के चुनावों में भी उसे विरोध का सामना करना पड़ सकता है. यह विरोध कायम रहा तो 2024 के चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी भारी पड़ेगा. भाजपा विरोधी समीकरण ने आलाकमान को भी बेचैन कर रखा है. इसलिए आलाकमान ने प्रदेश अध्यक्ष पाटील के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस को दिल्ली बुलाकर जमीनी हकीकत जानने की कवायद की. पार्टी के वरिष्ठ नेता और गृहमंत्री अमित शाह भी असलियत जानने की कोशिश की. इसमें यह भी स्पष्ट हुआ है कि पार्टी के अंदर गुटबाजी है और प्रदेश में पार्टी के वरिष्ठ नेता एक-दूसरे को कुर्सी से धकेलने में लगे हुए हैं. इसी गुटबाजी की वजह से पाटील को कमजोर मराठा नेता बताया जा रहा है और उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के लिए फडणवीस के साथ आशीष शेलार जैसे नेता के भी लामबंद होने की चर्चा है. वैसे, पार्टी के वरिष्ठ नेताओँ ने प्रदेश में नेतृत्व बदलने की चर्चा को अफवाह ही बता रहे हैं. इस बीच जानकारों का मानना है कि अपनी कुर्सी खतरे में देख पाटील ने राज के राजनीतिक एजंडे का परोक्ष रूप से समर्थन करके अपनी पार्टी के लिए मुसीबत तो खड़ी कर ही रहे हैं, साथ ही उत्तर भारतीयों में नाराजगी और योगी के लिए भी परेशानी पैदा कर रहे हैं. यह पाटील की कथित तौर पर अपनी रणनीति है और इसमें वे कितने कामयाब होंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा. फिलहाल भाजपा के वरिष्ठ नेता राज के चेहरे को बदलने में लगे हुए हैं ताकि उन्हें उत्तर भारतीय विरोधी नेता नहीं बल्कि हिंदुवादी नेता के रूप में पेश किया जा सके.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अभिमनोजः क्या महाराष्ट्र में नया सियासी समीकरण बनेगा?
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