नई दिल्ली. जम्मू कश्मीर में हाई कोर्ट जज की नियुक्ति का मामला एक बार फिर से लंबित हो गया है. केंद्र सरकार ने दूसरी बार मोक्ष खजूरिया-काजमी की हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश को वापस कर दिया है. केंद्र सरकार द्वारा दो सालों में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में पोस्टिंग पर एससी कॉलेजियम की सिफारिशों को वापस करने का यह चौथा ऐसा उदाहरण है.
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट जिसमें 13 स्थायी न्यायाधीशों और 4 अतिरिक्त न्यायाधीशों सहित 17 न्यायाधीशों की स्वीकृत शक्ति है. वर्तमान में केवल 11 न्यायाधीश हैं. खजुरिया-काजमी एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, जिन्होंने 2016 में जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में कार्य किया और बाद में उनकी सेवाओं को खत्म करने से पहले जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-बीजेपी सरकार में काम करना जारी रखा.
15 अक्टूबर 2019 को, भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में दो वकीलों खजुरिया-काज़मी और रजनीश ओसवाल की नियुक्ति की सिफारिश की थी. केंद्र सरकार ने ओसवाल की नियुक्ति को मंजूरी दे दी जो अप्रैल 2020 में जज बने, लेकिन काजमी की फाइल लंबित थी.
सूत्रों के अनुसार पिछले महीने, कानून मंत्रालय ने खजुरिया-काज़मी की फाइल को बिना कोई कारण बताए पुनर्विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को लौटा दिया. मार्च 2019 में, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के कॉलेजियम ने चार अधिवक्ताओं के लिए नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की थी जिन में खजुरिया-काज़मी, ओसवाल, जावेद इकबाल वानी और राहुल भारती शामिल थे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जम्मू-कश्मीर के शोपियां में आतंकी हमला, फायरिंग में सीआरपीएफ का एक जवान घायल
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