पश्चिम रेलवे के सभी मंडलों के सेक्शन रेल कवच तकनीक से होंगे लैस, दो ट्रेनों की टक्कर होने से बचाएगा, सुरक्षित होगा सफर

पश्चिम रेलवे के सभी मंडलों के सेक्शन रेल कवच तकनीक से होंगे लैस, दो ट्रेनों की टक्कर होने से बचाएगा, सुरक्षित होगा सफर

प्रेषित समय :16:13:12 PM / Sat, Mar 26th, 2022

सूरत. रेल कवच तकनीक को पश्चिम रेलवे द्वारा मुंबई-दिल्ली मेन लाइन पर भी लगाया जाएगा. इसका उद्देश्य ट्रेनों की परिचालन की सुरक्षा दुरुस्त करना है, ताकि एक ही पटरी पर आ गए दो ट्रेनों की टक्कर को रोका जा सके. इससे रेल यात्रा भी अब अधिक सुरक्षित हो सकेगी. इसे आगे दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर में भी लगाया जाएगा जिसकी कुल दूरी 3000 किलोमीटर होगी. इसे मिशन रफ्तार प्रोजेक्ट के तहत लगाया जाएगा, जहां ट्रेन की रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटे होती है. इसके लिए टेंडर निकाले जा चुके हैं.

गौरतलब है कि भारतीय रेलवे द्वारा इन दिनों रेल परिचालन को सुरक्षित करने और जीरो एक्सीडेंट मिशन के तहत बड़े पैमाने पर काम किया जा रहा है. इसी के तहत इसी महीने चार मार्च को रेल एक्सिडेंट और टक्कर को टालने के लिए कवच तकनीक का ट्रायल किया गया था. उल्लेखनीय है कि इसका ट्रायल पहले ही हैदराबाद में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के मौजूदगी में हो चुका है. इसमें दो ट्रेनों को आमने-सामने एक ही ट्रैक पर चलाया गया. इसमें से एक ट्रेन में रेल मंत्री भी सवार थे. लेकिन कवच तकनीक ने दोनों ट्रेनों के टक्कर को समय रहते रोक दिया गया था.

क्या है रेल कवच तकनीक

रेल कवच तकनीक एक स्वदेशी रूप से विकसित ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी) प्रणाली है. कवच ट्रेनों को खतरे (लाल) पर सिग्नल पार करने और टक्कर रोकने के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए है. यदि चालक गति सीमा के अनुसार ट्रेन को नियंत्रित करने में असफल रहता है तो यह ट्रेन ब्रेकिंग सिस्टम को स्वचालित रूप से सक्रिय कर देता है. इसके अलावा एक ही ट्रैक पर आ गए दो इंजनों के बीच टक्कर होने से भी रोक देता है.

आत्मनिर्भर भारत के एक हिस्से के रूप में 2022-23 में सुरक्षा और क्षमता वृद्धि के लिए 2,000 किलोमीटर नेटवर्क को कवच के तहत लाया जाएगा. लगभग 34,000 किलोमीटर नेटवर्क को कवच के तहत लाया जाएगा. अभी कवच को 1098 किमी रूट पर दक्षिण सेंट्रल रेलवे में लगाया गया. - सुमित ठाकुर, सीपीआरओ, प. रेलवे

ऐसे काम करेगा

- खतरे में सिग्नल पार करने से रोकना (एसपीएडी)
- ड्राइवर मशीन इंटरफेस (डीएमआई)/लोको पायलट ऑपरेशन कम इंडिकेशन पैनल (एलपीओसीआईपी) में सिग्नल की स्थित दिखाने के साथ ट्रेन की आवाजाही का निरंतर अपडेट
- ओवर स्पीडिंग की रोकथाम के लिए स्वचालित ब्रेक लगाना
- काम कर रही कवच प्रणाली से लैस दो इंजनों के बीच टकराव का रोकथाम
- नेटवर्क मॉनिटर सिस्टम के माध्यम से ट्रेन की आवाजाही की केंद्रीकृत लाइव निगरानी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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