कोलंबो. श्रीलंका की अर्थव्यवस्था डगमगाने के बाद जनता सड़कों पर उतर गई है और राजधानी कोलंबो समेत पूरे देश में हिंसा और हंगामे का दौर चल रहा है. बेकाबू होते हालात के बाद राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने कल देर रात इमरजेंसी का ऐलान कर दिया. कल राष्ट्रपति भवन के बाहर प्रदर्शन के लिए हजारों लोग जुटे. नाराज लोग राष्ट्रपति से पद छोड़ने की अपील कर रहे हैं. आम लोगों को लगता है आर्थिक बदहाली के लिए मौजूदा सरकार की नीतियां ही जिम्मेदार है. कोलंबो में हिंसा का दौर जारी है. लोगों ने गाड़ियों में आगजनी की. पुलिस की गाड़ियों तक को नहीं छोड़ गया.
सुरक्षा बल और आम लोग आमने-सामने आ गए हैं. लोगों को भगाने के लिए फायर गैस छोड़ी गई.अब तक की हिंसा में श्रीलंका में 10 लोग घायल भी हुए हैं. तो 50 से ज्यादा लोगो को हिरासत में भी लिया गया है. हालात इतने बिगड़ गए कि स्पेशल टास्क फोर्स को बुलाना पड़ा, लेकिन हालात काबू में नहीं आ पा रहे हैं.
राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने एक गजट जारी करते हुए एक अप्रैल से इमरजेंसी लागू करने का एलान कर दिया है. श्रीलंका में सरकार को बडा़ फैसला लेना पड़ा, क्योंकि जनता गुस्से में सड़कों पर उतर चुकी है. जनता के गुस्से की वजह ये है कि देश में फ्यूल और गैस की भारी कमी हो गई है. श्रीलंका सरकार के पास तेल आयात करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की बड़ी कमी है. नतीजा लोगों को पेट्रोल-डीजल के लिए कई घंटों तक लाइन में लगना पड़ रहा है.
देश के हालात क्या हैं, इस बात से अंदाजा लगाइए कि शिक्षा विभाग के पास कागज और स्याही स्याही खत्म हो गई है. परीक्षा अनिश्चितकाल के लिए टाल दी गई हैं. श्रीलंका के 2.2 करोड़ लोगों को काफी लंबे समय तक बिजली की कटौती का सामना भी करना पड़ रहा है. 13-14 घंटे बिजली काटी जा रही है. आलम ये है कि यहां लोगों के लिए दूध पेट्रोल से भी ज्यादा महंगा हो गया है और दो वक्त की रोटी भी मुसीबत से मिल रही है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-भारत ने श्रीलंका को दी एक अरब डालर की सहायता, भारी वित्तीय संकट से जूझ रहा पड़ोसी देश
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