प्रदीप द्विवेदी. जैसे आजकल फिल्म में कंटेंट और क्वालिटी से ज्यादा प्रचार की भूमिका हो गई है, वैसे ही राजनीति में भी प्रचार और प्रस्तुतीकरण बेहद महत्वपूर्ण हो गया है?
मोदी टीम ने एक काल्पनिक मॉडल- गुजरात मॉडल के प्रचार के दम पर केंद्र की गद्दी हासिल कर ली, तो केजरीवाल टीम ने- दिल्ली मॉडल के नाम पर पंजाब में कामयाबी दर्ज करवा ली, जबकि कांग्रेस अच्छा काम करके भी कई जगह नाकामयाब हो गई!
प्रचार की वजह से ही कथित देशभक्ति, जो दिखाई तक नहीं देती, वह साफ नजर आने वाले पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस के दामों और महंगाई पर भारी पड़ रही है?
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार अच्छा काम कर रही है, लेकिन जरूरी प्रचार-प्रसार के अभाव में इसका जो राजनीतिक फायदा मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा है.
अभी भी अशोक गहलोत सरकार के पास डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त है, यदि वह राजस्थान मॉडल को ठीक से प्रस्तुत करके उसका अच्छाखासा प्रचार करे, तो न केवल 2023 का विधानसभा चुनाव जीत सकती है, बल्कि राजस्थान मॉडल के दम पर लोकसभा चुनाव 2024 में भी कांग्रेस को जोरदार कामयाबी मिल सकती है.
अभी कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में मुफ्त बिजली के वादे किए गए, इसका फायदा भी मिला, गहलोत सरकार ने चुनाव से पहले ही मुफ्त बिजली का बेहतर मॉडल पेश किया है, लेकिन इसमें दो बड़ी कमियां हैं, एक तो बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी के तौर तरीके जन विरोधी हैं, पिछले लंबे समय से मनमर्जी के बिल दिए जाते रहे और कोई सुनवाई भी नहीं हुई, राज्य सरकार को पिछले दो साल के बिजली बिलों की ऑडिट करवा कर जनता से वसूला गया अतिरिक्त पैसा वापस करवाना चाहिए या अगले बिलों में एडजस्ट करवाना चाहिए, दूसरा- बिजली के बिलों के लिए जो राहत दी गई है, उसका पर्याप्त प्रचार-प्रसार तो होना ही चाहिए, यह भी क्रास चैक करना चाहिए कि लोगों को वास्तव में लाभ मिल भी रहा है या नहीं?
यही नहीं, जिन युवाओं को रोजगार मिला है, उनके विचारों का भी प्रचार-प्रसार होना चाहिए.
महात्मा गांधी को भजन बेहद प्रिय थे, लेकिन शायद वे भजन इसलिए भी करते थे, ताकि, कुछ लोग झूठा प्रचार करके उन्हें मुसलमान ही घोषित नहीं कर दें, आज के सियासी हालात भी ऐसे ही हैं, राहुल गांधी को भी मुसलमान घोषित करने का अभियान लंबे समय से जारी है, लिहाजा झूठी धार्मिक राजनीति से सतर्क रहने की जरूरत है?
कितने आश्चर्य की बात है कि कांग्रेस पर तुष्टीकरण का आरोप लगता है, लेकिन मुसलमान कांग्रेस को नहीं, क्षेत्रीय दलों को वोट देते हैं?
देश को आजाद कराने के लिए अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो, की नीति को नाकामयाब करने के लिए ही तब के स्वतंत्रता सेनानियों ने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया गया था, लेकिन अब फिर से फूट डालो और राज करो, की नीति असरदार हो रही है।
इन कुछ वर्षों में कांग्रेस के हिन्दू वोट बीजेपी ले गई, तो मुस्लिम वोट क्षेत्रीय दल ले गए, धार्मिक आधार पर बंटती जा रही जनता को फिर से एक करना बड़ी चुनौती है?
जिस पीढ़ी ने आजादी के आंदोलन में कांग्रेस की भूमिका को देखा था और उसके बाद का विकास भी देखा था, उस पीढ़ी की आबादी अब बहुत कम बची है और इन तीस-चालीस साल में नई पीढ़ी के युवाओं को काफी हद तक झूठा इतिहास सिखाया-पढ़ाया गया है, इसलिए जो चुनौती है, वह बहुत बड़ी है?
यदि कांग्रेस ताजा राजनीतिक हालातों को समझते हुए प्रायोगिक धरातल पर पूरी ताकत और प्रचार-प्रसार के साथ सक्रिय नहीं हुई, तो 2023-24 भी हाथ से निकल जाएंगे!
पप्पूगिरी में भी मोदीजी ने तगड़ी मात दे दी है राहुल गांधी को?
https://www.palpalindia.com/2022/02/15/politics-Pappugiri-Rahul-Gandhi-satire-Modi-Amrit-Mahotsav-Panelist-Surendra-Rajput-tweet-news-in-hindi.html
तब तो.... इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला नहीं होता, राजनारायण पर ही जुर्माना लग जाता?
https://twitter.com/PalpalIndia/status/1509201727408701446
साहेब! फर्जी डिग्रियों को भी मान्यता दे दो ना, इसके लिए भी 18-18 घंटे मेहनत करनी पड़ती है?
https://twitter.com/PalpalIndia/status/1509919715178971136
देश बदलने का दावा था, ड्रेस बदलते रह गए! प्रधानमंत्री या परिधानमंत्री?
https://palpalindia.com/2022/02/22/delhi-modi-wearing-military-uniform-PMO-notice-monitoring-petition-Prayagraj-Court-Traditions-news-in-hindi.html
साहेब सब जोखिम से दूर हैं! गैस- स्मृति, पेट्रोल- रामदेव, तो महंगाई के लिए राजनाथ पर निशाना साधो?
https://twitter.com/PalpalIndia/status/1510644381778575360
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