श्योपुर. मध्य प्रदेश के श्योपुर में नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क में लाए गए 8 चीतों की क्वारंटाइन अवधि अब खत्म हो गई है और चीतों को अब अभ्यारण्य में छोडऩा शुरू कर दिया गया है. पहले चरण में 2 चीतों को शनिवार की शाम कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया, अन्य 6 को भी अगले कुछ दिनों में क्वारंटीन बाड़े से आजाद कर दिया जाएगा.
पीएम मोदी ने ट्वीट कर बताया कि अच्छी खबर है! मुझे बताया गया है कि अनिवार्य क्वारंटीन के बाद, 2 चीतों को कुनो निवास स्थान में और अनुकूलन के लिए एक बड़े बाड़े में छोड़ दिया गया है. अन्य को जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा. यह जानकर भी खुशी हुई कि सभी चीते स्वस्थ और सक्रिय हैं, कूनो नेशनल पार्क की जलवायु के साथ अच्छी तरह से तालमेल बिठा रहे हैं.
गौरतलब है कि भारत में प्रोजेक्ट चीता के तहत 8 नामीबियाई चीतों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के दिन कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था. खुद प्रधानमंत्री ने इन्हें बाड़े में छोड़ा था. अब दो चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ दिया गया है, जो और बड़े एरिया में आसानी से घूम फिर पाएंगे. खास बात यह है कि ये चीते 50 दिन बाद अब शिकार भी कर पाएंगे, क्योंकि पार्क में चीतों के शिकार के लिए चीतल, हिरण जैसे जानवर मौजूद रहेंगे.
वहीं कूनो नेशनल पार्क के अधिकारियों ने बताया कि अभी 2 नर चीते बड़े बाड़े में रिलीज किए गए हैं, अन्य को भी जल्द बड़े बाड़े में छोड़ा जाएगा. दरअसल, नामीबिया और भारत की जलवायु में अंतर होने के कारण इन चीतों को पहले कुछ दिन निगरानी में रखा गया था और यह इंतजार किया जा रहा था कि ये कूनो नेशनल पार्क के वातावरण में सेटल हो जाएं.
कूनो के एक अधिकारी ने कहा कि चीता बोमास या बड़े बाड़े में स्थानांतरित होने की प्रतीक्षा कर रहे थे, जहां वे शिकार का अभ्यास कर सकते हैं. वे एक या दो महीने के लिए बोमास में रहेंगे और फिर मुख्य पार्क में छोड़ दिए जाएंगे. यह महत्वपूर्ण है कि वे शिकार का अभ्यास करें और नई शिकार प्रजातियों के अभ्यस्त हों. हम निगरानी करेंगे कि वे नई शिकार प्रजातियों को पसंद कर रहे हैं या अभ्यस्त हो रहे हैं.
पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने सितंबर में कहा था कि चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, चौसिंघा, लंगूर आदि के साथ कूनो में चीतों के लिए अच्छा शिकार आधार है. एनटीसीए के सदस्य सचिव एसपी यादव ने कहा कि अफ्रीका में चीते इम्पाला, गजेल्स जैसे वन्य जीवों का शिकार करते हैं, जो बहुत तेज होते हैं. इसकी तुलना में भारतीय वन्य जीवों का शिकार करना चीतों के लिए आसान होगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-खत्म हुआ 70 साल का इंतजार, पीएम मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में छोड़े नामीबिया से आये आठ चीते
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