Rajasthan: जैन मुनि सुज्ञेयसागर ने त्यागे प्राण, सम्मेद शिखर बचाने के लिए 9 दिनों से अनशन पर बैठे थे

Rajasthan: जैन मुनि सुज्ञेयसागर ने त्यागे प्राण, सम्मेद शिखर बचाने के लिए 9 दिनों से अनशन पर बैठे थे

प्रेषित समय :16:26:44 PM / Tue, Jan 3rd, 2023

जयपुर. झारखंड में जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को टूरिस्ट प्लेस बनाए जाने का विरोध कर रहे जैन मुनि सुज्ञेयसागर ने मंगलवार को जयपुर में प्राण त्याग दिए. वे झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ पिछले 09 दिन से आमरण अनशन कर रहे थे. सुज्ञेयसागर जयपुर के सांगनेर में 25 दिसंबर से आमरण अनशन पर थे. मंगलवार सुबह उनकी डोल यात्रा सांगानेर संघीजी मंदिर से निकाली गई. इस दौरान आचार्य सुनील सागर सहित बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग मौजूद रहे. जैन मुनि को जयपुर में ही समाधि दी जाएगी.

झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाडिय़ों पर स्थित सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थ है. समुदाय के सदस्य पारसनाथ पहाडिय़ों में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के राज्य सरकार के कदम का विरोध कर रहे हैं. पर्यावरण मंत्रालय ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव के बाद अगस्त 2019 में पारसनाथ अभयारण्य के आसपास एक पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र अधिसूचित किया था और पर्यावरण-पर्यटन गतिविधियों को मंजूरी दी थी.

विरोध में रांची में मौन जुलूस

पारसनाथ पहाड़ी सम्मेद शिखर और उसकी तराई में स्थित मधुबन को पर्यटन स्थल घोषित करने की अधिसूचना वापस लेने की मांग पर रांची में जैन समाज के लोगों ने मंगलवार को विशाल मौन जुलूस के साथ राजभवन मार्च किया. जैन समाज ने राज्यपाल रमेश बैस को अपनी भावनाओं से अवगत कराते हुए एक ज्ञापन सौंपा. इसमें कहा गया है कि जैनियों के इस सर्वोच्च तीर्थ स्थल को पर्यटन स्थल बनाने से यहां की पवित्रता भंग होगी. देश-विदेश के जैन धर्मावलंबी चाहते हैं कि इसे तीर्थस्थल ही बनाए रखा जाए.

पारसनाथ 20 तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि है

पारसनाथ पहाड़ी दुनिया भर के जैन धर्मावलंबियों के बीच सर्वोच्च तीर्थ सम्मेद शिखर के रूप में विख्यात है. जैनियों के 24 में से 20 तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि होने से यह उनके लिए पूज्य क्षेत्र है. जैन समाज का कहना है कि पर्यटन स्थल घोषित होने से इस पूज्य स्थान की पवित्रता भंग होगी. मांस भक्षण और मदिरा पान जैसी अनैतिक गतिविधियां बढ़ेंगी और इससे अहिंसक जैन समाज की भावना आहत होगी.

झारखंड सरकार ने पर्यटन स्थल घोषित किया

पारसनाथ झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी है, जो चारों ओर वन क्षेत्र से घिरा है. पहाड़ी की तराई में जैनियों के दर्जनों मंदिर हैं. 2 अगस्त 2019 को झारखंड सरकार की ओर से की गई अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्रालय ने पारसनाथ के एक हिस्से को वन्य जीव अभ्यारण्य और इको सेंसिटिव जोन के रूप में नोटिफाई किया है. झारखंड सरकार ने भी इसे अंतरराष्ट्रीय महत्व का पर्यटन स्थल घोषित किया है.

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