#Jaipur जयपुर पंचांग- 3 जून 2023, नारी शक्ति का प्रतीक है वट सावित्री व्रत!

#Jaipur जयपुर पंचांग- 3 जून 2023, नारी शक्ति का प्रतीक है वट सावित्री व्रत!

प्रेषित समय :20:46:56 PM / Fri, Jun 2nd, 2023

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जयपुर पंचांग- 3 जून 2023, शनिवार
* तिथि चतुर्दशी- 11:18:24 तक, नक्षत्र विशाखा- 06:16:19 तक, अनुराधा- 29:03:48 तक, करण वणिज- 11:18:24 तक, विष्टि- 22:19:21 तक, पक्ष शुक्ल, योग शिव- 14:47:04 तक, वार शनिवार
* शक सम्वत1945, विक्रम सम्वत 2080
* मास पूर्णिमांत ज्येष्ठ, मास अमांत ज्येष्ठ
* सूर्योदय 05:32:45, सूर्यास्त 19:17:10
* चन्द्र राशि वृश्चिक, चन्द्रोदय 18:41:00, चन्द्रास्त 29:17:00
* राहुकाल 08:58:51 से 10:41:54 तक
* शुभमुहूर्त अभिजीत 11:57:29 से 12:52:26 तक
* दिशाशूल पूर्व
* ताराबल- भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती
* चन्द्रबल- वृषभ, मिथुन, कन्या, वृश्चिक, मकर, कुम्भ
* वट सावित्री पूर्णिमा- शनिवार, 3 जून 2023
* पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 3 जून 2023 को 11:16 बजे
* पूर्णिमा तिथि समाप्त- 4 जून 2023 को 09:11 बजे

* नारी शक्ति का प्रतीक है वट सावित्री व्रत! 
* वट सावित्री व्रत ऐसा व्रत है जिसमें हिंदू सुहागन अपने पति की लंबी उम्र और संतान प्राप्ति की कामना करती हैं. 
* भारत में यह व्रत बेहद लोकप्रिय है लेकिन इसकी तिथि की मान्यताएं भिन्न-भिन्न हैं. कहीं यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को तो कहीं इसी मास की पूर्णिमा को किया जाता है. 
* सामान्यत: वट सावित्री पूर्णिमा व्रत दक्षिण भारत में तो वट सावित्री अमावस्या व्रत उत्तर भारत में विशेष रूप से किया जाता है. 
* इसकी कथा पतिव्रता पत्नी की घातचक्र को बदलने की ताकत को प्रदर्शित करती है तो विकट परिस्थिति की चतुराई से सामना करने का विश्वास भी पैदा करती है. 
* यह व्रत हर हाल में अपने जीवनसाथी का साथ देने का संदेश देता है. 
* धर्मधारणा है कि... सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु एवं संतान सुख प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं!
शनिवार का चौघडिय़ा
दिन का चौघडिय़ा       रात्रि का चौघडिय़ा
पहला- काल              पहला- लाभ
दूसरा- शुभ              दूसरा- उद्वेग
तीसरा- रोग              तीसरा- शुभ 
चौथा- उद्वेग             चौथा- अमृ
पांचवां- चर               पांचवां- चर
छठा- लाभ                छठा- रोग
सातवां- अमृत            सातवां- काल
आठवां- काल             आठवां- लाभ
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, स्थानीय परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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