रेलवे: कही-सुनाई बातें..

रेलवे: कही-सुनाई बातें..

प्रेषित समय :17:57:18 PM / Tue, Jul 18th, 2023

50 लाख की रिकवरी में दबे साहब..

- पश्चिम मध्य रेलवे के एक साहब जो हैं तो टेक्नोक्रेट लेकिन इन दिनों प्रशासनिक कामकाज बखूबी संभाल रहे हैं, किंतु पिछले कुछ समय से उनकी राशि में राहु-केतु का ऐसा चक्कर पड़ा है कि वे बहुत परेशान हैं, दरअसल उनके ऊपर 50 लाख की रिकवरी की चर्चा रेल क्षेत्र में जमकर वायरल हो रही है. अब इस बात में कितनी सच्चाई है, यह तो साहब जानें या विजिलेंस या फिर सबका हिसाब-किताब रखने वाले एकाउंट विभाग. परंतु साहब से जलनखोरी रखने वाले यह जरूर कह रहे हैं कि यह रिकवरी उस समय की है, जब साहब किसी पीएसयू में काम करते थे, अब रेलवे में नौकरी लग गई तो वहां की सीनियारिटी यहां पर काउंट करा ली. साहब से द्वेष रखने वाले उन्हीं की विभाग के एक अन्य साहब ने इसकी शिकायत रेलवे बोर्ड तक कर दी, फिर क्या था, रिकवरी निकल गई, अब आगे क्या होता है यह तो वक्त के हाथों में है...

एमपी में रेलवे के मुखिया से टेंशन भरपूर

मध्य प्रदेश में अगले कुछ माह बाद विधानसभा चुनाव हैं, इस चुनाव के लिए भाजपा व कांग्रेस अपना पूरा जोर लगा रही है, यहां तक तो ठीक है किन्तु अब की बार रेलवे के सभी साहब बड़े से लेकर मंडल तक के काफी टेंशन में हैं. उनकी टेंशन का कारण यह है कि सत्ता वाली पार्टी ने रेलमंत्री को ही एमपी चुनाव फिर से जिताने की जिम्मेदारी सौंप दी. मंत्री जी का भी राजधानी में सक्रियता बढ़ गई है. अब जब विभाग के मुखिया ही यहां पर डेरा डाले रहेंगे तो मातहत को तो हर समय मुस्तैद रहना पड़ेगा, यही टेंशन का कारण है. कुछ परेशान लोग तो यह कह रहे हैं कि बड़े साहब तो चुनाव की घोषणा होने के पहले ही यहां से निवृत्त हो जाएंगे, लेकिन भोपाल वाले साहब जो बस आज-कल में ही ज्वाइन करने वाले हैं, उनका क्या हाल होगा...

का से क्या हो गया..!

कभी मुंबई वाले मजदूर मसीहा के राज में पूरे जबलपुर जोन में अपना जलवा बिखेरने वाले नेताजी ने जब से बुजुर्ग नेता के एकछत्र राज को चुनौती देते हुए सत्ता छीना है, तब से उनके सितारे गर्दिश में नजर आ रहे हैं. उन्होंने सोचा था कि मुंबई के हाथों से सत्ता छीन कर उनका सिक्का यहां चलेगा, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो सका. लगातार कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगा-लगाकर नेता व उनके साथी परेशान हो गये हैं. एक नेताजी कहते थे इस समय उनकी जो स्थिति है, उससे लाख गुना बेहतर स्थिति तो मजदूर मसीहा के राज में थी, तब मन, धन और... सब कुछ उनकी पहुंच में थे... बेचारे...

पटरी वाले साहब की दमदारी

रेलवे की पटरियां कबाड़ी को ठेकेदार के साथ मिलकर बेचकर ऐश करने वाले इंजीनियर साहब के कस-बल अभी भी ढीले नहीं पड़े हैं. आखिर ऐसा हो भी क्यों नहीं, क्योंकि मंडल से लेकर पमरे मुख्यालय के इंजीनियरिंग विभाग में बड़े-बड़े जोधा का वरद हस्त जो उनके साथ है, यही तो कारण है कि पटरी वाले आरोपी साहब पटरियों को बेचकर खाने के बाद डकार तक नहीं ले रहे हैं, ऊपर से इस मामले के गवाहों तक को बयान बदलने की धमकी देने लगे हैं. मामला ऊपर तक पहुंच गया है, लेकिन हो कुछ नहीं रहा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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