पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी के जबलपुर में भी अब पटवारी परीक्षा को लेकर विरोध-प्रदर्शन शुरु हो गया है. आज सिविक सेंटर में सैकड़ों छात्रों ने कोचिंग संचालकों के साथ मिलकर नारेबाजी कर प्रदर्शन किया. इसके बाद घंटाघर तक रैली निकालकर प्रदेश की शिवराज सरकार के खिलाफ एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है.
एसडीएम को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि पटवारी परीक्षा को निरस्त किया जाए, छात्रों ने मेहनत कर पढ़ाई की वे दोबारा परीक्षा देकर पास हो सकते है. लेकिन जिन्होने रुपया खर्च कर रैंक हासिल की है वे दोबारा पास नहीं हो पाएगें. प्रदर्शन के दौरान छात्र हाथों में बैनर लिए थे जिसमें व्यापम घोटाला, 15 लाख रुपए में पटवारी बनाने जैसे स्लोगन लिए हुए थे. प्रदर्शन के दौरान कोचिंग संचालक भी बड़ी संख्या में शामिल रहे. छात्रों व कोचिंग संचालकों ने कहा कि यदि पटवारी परीक्षा निरस्त नहीं की गई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.
छात्रों की मांग
पटवारी घोटाले की न्यायिक तथा तकनीकी जांच
अधिकारियो छात्रों तथा विभागों पर कारवाही
परीक्षा को निरस्त तथा नियुक्तिकरण पर रोक
नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया का अंत
UPSC / MPPSC की तर्ज पर एक ही दिन में परीक्षा का आयोजन तथा सभी प्रतियोगियों के लिए एक ही प्रश्न पत्र
पटवारी परीक्षा का सिलेबस नहीं बता पाई टॉपर पूनम, बोलीं प्लीज ऐसे सवाल मत कीजिए
मैरिट लिस्ट में तीसरे नंबर पर रही पूनम किसी भी सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाईं। जब कुछ आसान सवालों के जवाब पूछे गए, तो उनके पास इन सवालों के जवाब नहीं थे. पूनम ग्वालियर की रहने वाली है और उन्होंने पटवारी परीक्षा 177.40 अंकों से पास की। वे प्रदेश की तीसरे नंबर की टॉपर रही हैं। आपको बता दें कि पीईबी की ओर से आयोजित यह परीक्षा अब तक हुए घटनाक्रम के बाद पूरी तरह से सवालों से घिर चुकी है। यहां तक कि इस परीक्षा की छठे नंबर की टॉपर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हो रहा है, जिसमें वो मानती हैं कि हां उन्होंने 15 लाख रुपए दिए हैं. इसी परीक्षा में थर्ड टॉपर रहीं पूनम रजावत ने एक न्यूज वेबसाइट को इंटरव्यू दिया। इस वीडियो में पूनम मध्यप्रदेश से जुड़े आसान से सवालों के जवाब नहीं दे पाईं.
हाल के वर्षों में, नर्सिंग स्टाफ, स्कूल शिक्षकों, कांस्टेबलों और कृषि विकास अधिकारियों की भर्तियों में धांधली के इसी तरह के आरोप लगे हैं लेकिन चौहान सरकार ने उन्हें उजागर कर दिया.
हालाँकि, 2021 में तीन परीक्षण - कृषि विस्तार अधिकारी, वरिष्ठ कृषि अधिकारी और नर्सिंग स्टाफ - को सरकार द्वारा रद्द करना पड़ा क्योंकि घोटाला इतना भयावह लग रहा था कि इसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता था। परीक्षण तब विवादों में घिर गया जब कृषि विस्तार अधिकारियों की परीक्षा में 10 टॉपर्स द्वारा प्राप्त अंक लगभग समान पाए गए और उन सभी ने अपनी परीक्षा में समान त्रुटियां कीं। मुख्यमंत्री चौहान ने जांच के आदेश दिए, जिससे पता चला कि पेपर उस निजी कंपनी द्वारा लीक किया गया था, जिसे परीक्षा आयोजित करने के लिए अनुबंधित किया गया था। व्यापमं मामले के कारण कंपनी पहले ही विवादों में घिर चुकी है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पटवारी परीक्षा को लेकर अब जबलपुर में विरोध-प्रदर्शन शुरु, एग्जाम निरस्त उठी आवाज