जबलपुर. रेलवे में कहीं भी यदि रेल हादसा होता है तो सबसे पहले यहां का एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन (एआरटी) में तैनात स्टाफ जिस स्थिति में होता है, उसी स्थिति में घर छोड़कर मौका-ए-वारदात पर पहुंचने के लिए दौड़ लगाता है. चाहे उसे भूख लगी हो या प्यास, इन सब बातों को दरकिनार करते हुए वह अपने कर्तव्य को पूरा करने तत्पर रहता है. ऐसी स्थिति में जिम्मेदार रेल प्रशासन की ड्यूटी है कि वह इन स्टाफ के भोजन-पानी का प्रबंध करें, लेकिन पिछले दिनों पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर रेल मंडल अंतर्गत भेड़ाघाट स्टेशन पर एनडीआरएफ व रेलवे के हुए संयुक्त मॉकड्रिल में एआरटी स्टाफ घंटों भूखे काम करता रहा, जबकि इस मॉकड्रिल में शामिल सभी अधिकारी, कर्मचारियों के लिए 5 लाख रुपए की राशि भी आवंटित की गई थी. मंडल रेल प्रबंधक को इस मामले की शिकायत भी की गई है.
उल्लेखनीय है कि गत 12 अक्टूबर की रात 8.23 बजे राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) बटालियन एवं रेलवे विभाग की टीम द्वारा संयुक्त फुल स्केल मॉक ड्रिल अभ्यास का आयोजन किया गया. इसके अंतर्गत काल्पनिक दुर्घटना का घटनाक्रम दर्शाया गया एवं घटना से निपटने के लिए विभिन्न विभागों द्वारा अपने कर्मचारियों का कौशल दक्षता जांचने हेतु एनडीआरएफ बटालियन की टीम के साथ रेलवे से होने वाली आपदाओं से किस तरह निपटा जााए इसका संयुक्त अभ्यास किया गया. यह मॉकड्रिल अधिकारियों-कर्मचारियों की मुस्तैदी से पूरी तरह से सफल भी रहा.
इसलिए आया विवादों में
बताया जाता है कि रेलवे बोर्ड की गाइड लाइन किसी एक्सीडेंट के समय स्पष्ट है, जिसके मुताबिक दुर्घटना राहत गाड़ी जब रवाना होती है तो उसमें शामिल सभी अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए एक डाइट प्लाइन तय है, जिसके मुताबिक उन्हें भोजन, पानी, नाश्ता, चाय आदि का प्रबंध करना जरूरी है. इस मॉकड्रिल के लिए 5 लाख रुपए जारी किये गये. जिसके मुताबिक रेल प्रशासन को एआरटी स्टाफ के साथ-साथ अन्य विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए इस 5 लाख की राशि में से भोजन, पानी आदि का प्रबंध करना था. रेल प्रशासन ने इसका प्रबंध भी किया, लेकिन पर्याप्त मात्रा में नहीं, खासकर दुर्घटना राहत से सीधे जुड़े एआरटी स्टाफ बिन भोजन के रह गये.
दो प्रकार के भोजन का आर्डर हुआ
बताया जाता है कि इस मॉक ड्रिल के दौरान दो प्रकार के भोजन का प्रबंध था. एक वीआईपी थाली तथा दूसरी व्यवस्था भोजन के पैकेट थे, जिसमें आलू की सब्जी व पुड़ी थी. एआरटी स्टाफ में इस बात को लेकर आक्रोश रहा कि उनके 84 कर्मचारी ड्यूटी पर थे, लेकिन उनके लिए कुल 10 पैकेट पुड़ी-सब्जी के दिये गये थे. शेष 74 के लिए कोई प्रबंध नहीं था. जिससे नाराज सभी 84 स्टाफ ने भोजन नहीं किया.
डीआरएम से शिकायत
बताया जाता है कि इस मामले की शिकायत अगले दिन एआरटी स्टाफ ने डीआरएम को की और वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन (डबलूसीआरईयू) को भी अवगत कराया, जिसके बाद यूनियन ने डीआरएम व एडीआरएम के संज्ञान में यह मामला लाया और जिस विभाग के पास स्टाफ के भोजन-पानी के प्रबंधन की जिम्मेदारी थी, उन पर कार्रवाई किये जाने की मांग की.
इनका कहना
- एआरटी स्टाफ के साथ मॉकड्रिल के दौरान दोयम दर्जे का व्यवहार किया गया. उन्हें भोजन तक उपलब्ध नहीं कराया गया, यह काफी गंभीर विषय है. मामले की जानकारी लगते ही रेल प्रशासन से शिकायत की गई है. वहीं इसके पहले भी कई मामले एआरटी के सामने आये हैं, जिसमें उन्हें ड्यूटी के दौरान भोजन, नाश्ते का प्रबंध नहीं किया गया. डीआरएम के संज्ञान में भी कई मामले लाये गये हैं, उन्होंने भी आश्वस्त किया था कि यह गंभीर विषय है और उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देशित भी किया था कि भविष्य में ऐसी गलती नहीं होना चाहिए, लेकिन फिर भी ऐसी घटना हुई है. जिसका यूनियन ने विरोध जताया है.
- रोमेश मिश्रा, मंडल सचिव, डबलूसीआरईयू, जबलपुर.
- रेल प्रशासन ने तय मानदंडों के मुताबिक सभी स्टाफ को भोजन उपलब्ध कराया था. इसमें किसी प्रकार की कमी नहीं रखी है. भोजन के पैकेट स्टाफ को दिये गये थे, उसमें मेन्यू के हिसाब से ही सामग्री थी.
- विश्व रंजन, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक, जबलपुर.
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