नई दिल्ली. रेलवे बोर्ड ने अपने कर्मचारियों को अपने परिवार के सदस्यों या आश्रितों के लिए विशेषाधिकार प्राप्त पास या विशेषाधिकार प्राप्त टिकट ऑर्डर (पीटीओ) हासिल करने के लिए आवश्यक दस्तावेजों का मानकीकरण किया है.
गत दो नवंबर को सभी जोन को भेजे गए पत्र में बोर्ड ने कहा कि पास जारी करने वाले अधिकारियों (पीआईए) को सलाह दी जाती है कि वे अनुलग्नक में दिए गए दस्तावेजों की ही मांग करें और पूर्व में इस्तेमाल किए जा रहे अन्य दस्तावेजों को पेश करने पर जोर न दें.
इसने यह भी स्पष्ट किया है कि मौजूदा मामलों में जहां लाभार्थियों की पात्रता पहले से ही तय है, उन्हें अब निर्धारित दस्तावेजों को मंगाकर समीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है. दस्तावेजों के मानकीकरण के अलावा बोर्ड के पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि रेलवे कर्मचारी के रिश्तेदार या आश्रित के रूप में कौन लोग निशुल्क पास का लाभ उठा सकते हैं.
पत्र के मुताबिक, परिवार के करीबी सदस्यों के अलावा एक रेलवे कर्मचारी अपने आश्रितों जैसे वयस्क पुत्र, विधवा या कानूनी रूप से तलाकशुदा बेटी, गोद लिए गए बच्चे, विधवा या तलाकशुदा मां को लाभार्थियों की सूची में शामिल कर सकता है.
रेलवे के एक अधिकारी ने बताया, एक रेलवे कर्मचारी को अपने पूरे परिवार के लिए मुफ्त यात्रा पास मिलता है, जिसमें उसकी पत्नी और बच्चे शामिल हैं, भले ही बच्चों की संख्या कितनी भी हो. हालांकि, जब वह लाभार्थियों की सूची में किसी आश्रित को शामिल करना चाहता है, तो रेलवे परिवार के केवल पांच व्यक्तियों तक लाभ सीमित करता है.
उन्होंने आगे कहा, दस्तावेजों को पेश करने के लिए बहुत अस्पष्टता थी और विभिन्न रेल मंडलों में संबंधित अधिकारी अपनी मर्जी से दस्तावेजों की मांग करते थे. इससे कर्मचारियों को असुविधा हुई और उनमें से कई को इन लाभों से वंचित कर दिया गया.
रेलवे बोर्ड ने विशेषाधिकार प्राप्त पास जारी करने की प्रक्रिया का डिजिटलीकरण किया, लेकिन, लाभ प्राप्त करने के लिए दस्तावेजों को प्रस्तुत करने के बारे में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं था. कई कर्मचारियों ने बोर्ड को पत्र लिखकर इस पर स्पष्टता की मांग की.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-हरियाणा के गुरुग्राम में पत्नी ने रेलवे पुलिस अधिकारी की गोली मारकर हत्या की, यह है कारण
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