मंत्रों में छुपी अलौकिक शक्ति का प्रयोग कर जीवन को सफल एवं सार्थक बनाया जा सकता है. •
किसी देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए प्रयुक्त शब्द समूह मंत्र कहलाता है.
जो शब्द जिस देवता या शक्ति को प्रकट करता है उसे उस देवता या शक्ति का मंत्र कहते हैं.
मंत्र एक ऐसी गुप्त ऊर्जा है, जिसे हम जागृत कर इस अखिल ब्रह्मांड में पहले से ही उपस्थित इसी प्रकार की ऊर्जा से एकात्म कर उस ऊर्जा के लिए देवता (शक्ति) से सीधा साक्षात्कार कर सकते हैं.
ऊर्जा कभी भी नष्ट नहीं होती है, वरन् एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती रहती है.
अतः जब हम मंत्रों का उच्चारण करते हैं तो उससे उत्पन्न ध्वनि एक ऊर्जा के रूप में ब्रह्मांड में प्रेषित होकर जब उसी प्रकार की ऊर्जा से संयोग करती है तब हमें उस ऊर्जा में छुपी शक्ति का आभास होने लगता है.
मंत्र की साधना करने से पूर्व मंत्र पर पूर्ण श्रद्धा, भाव, विश्वास होना आवश्यक है.
मंत्र का सही उच्चारण अति आवश्यक है.
मंत्रों के प्रयोग से आर्थिक, सामाजिक, दैहिक, दैनिक, भौतिक तापों से उत्पन्न व्याधियों से छुटकारा पाया जा सकता है.
• रोग निवारण में मंत्र का प्रयोग रामबाण औषधि का कार्य करता है. •
•मानव शरीर में १०८ जैविकीय केंद्र (साइकिक सेंटर) होते हैं जिसके कारण मस्तिष्क से १०८ तरंग दैर्ध्य उत्सर्जित करता है.
इसलिए मंत्र की साधना के लिए १०८ मनकों की माला तथा मंत्रों के जाप की विधि विधान है .
नवरात्रि में अपने नाम राशि के अनुसार आप 21 दिन लगातार एक माला जप करें 108 बार फिर फायदा आप खुद देख सकते है.
राशि के अनुरूप करें मंत्र जाप
• मेष - ॐ ऐं क्लीं सौं: ! • वृषभ - ॐ ऐं क्लीं श्रीं ! • मिथुन - ॐ क्लीं ऐं सौं: ! • कर्क - ॐ ऐं क्लीं श्रीं ! • सिंह - ॐ ह्रीं श्रीं सौं: ! • कन्या - ॐ श्रीं ऐं सौं:! • तुला - ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं ! • वृश्चिक - ॐ ऐं क्लीं सौं: ! • धनु - ॐ ह्रीं क्लीं सौं: ! • मकर - ॐ ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं सौं: ! • कुंभ - ॐ ह्रीं ऐं क्लीं श्रीं ! • मीन - ॐ ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं सौं:!
मेरा अनुभव- मंत्र सिद्धि के लक्षण
नवरात्रि में देवी मंत्रों के जप के दौरान अनेक अनुभव होते हैं.
इन अनुभवों के जरिए पता चल जाता है कि मंत्र सिद्ध हुआ या नहीं. कुछ ऐसे लक्षण भी होते हैं जिनका अनुभव होने पर मान लेना चाहिए कि मंत्र जप में कोई कमी रह गई है.
मंत्र जप करने वाले की शरीर में कुछ प्रतिक्रिया होती है, कुछ अनुभव होते हैं.
अगर मंत्र सिद्ध हो जाता है, तो सुषुम्ना नाड़ी में प्रकाश का अनुभव होता है और शरीर के छहों चक्र दिखाई देने लगते हैं.
इसे देखने के लिए मन एकाग्र होना चाहिए. साधक को ऐसा अनुभव होता है कि शरीर के अंदर कई स्थानों पर तारे टिमटिमा रहे हैं.
शक्ति उपासक: -आचार्य पटवाल
Shakti-Upasak Acharya Patwal
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