असंवैधानिक.... टू फिंगर टेस्ट, महिलाओं को अपमानित करनेवाले है!

असंवैधानिक.... टू फिंगर टेस्ट, महिलाओं को अपमानित करनेवाले है!

प्रेषित समय :20:59:09 PM / Thu, Sep 5th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अभिमनोज
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में लिलु राजेश बनाम हरियाणा राज्य के मामले में टू फिंगर टेस्ट को असंवैधानिक करार दिया था और इसे रेप पीड़िता की निजता और सम्मान का हनन करनेवाला बताया था.
तब अदालत ने कहा था कि- यह टेस्ट शारीरिक और मानसिक पीड़ा देने वाला है और यह यौन हिंसा के इतिहास का पता लगाने का कोई विश्वसनीय तरीका भी नहीं है, क्योंकि.... भले ही यह टेस्ट पॉजिटिव आ जाए, तब भी यह नहीं माना जा सकता है कि संबंध सहमति से बने थे.
खबरों की मानें तो.... सुप्रीम कोर्ट के बैन लगाने के बावजूद भी इस टेस्ट का कई मामलों में इस्तेमाल होता रहा है और 2019 में 1,500 से ज्यादा रेप पीड़िताओं और उनके परिवारजनों ने यह शिकायत की थी कि- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद यह टेस्ट कराया जा रहा है, यही नहीं, शिकायत में इस टेस्ट को करने वाले डॉक्टरों के लाइसेंस रद्द करने की मांग भी की गई थी.
खबरों पर भरोसा करें तो.... केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस परीक्षण को अवैज्ञानिक करार देते हुए मार्च 2014 में रेप पीड़िताओं की देखभाल के लिए नई गाइडलाइंस जारी की थी, जिसमें टू फिंगर टेस्ट पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के अलावा तमाम अस्पतालों से फोरेंसिक और मेडिकल जांच के लिए एक विशेष कक्ष बनाने को कहा गया था.
खबर है कि.... सुप्रीम कोर्ट ने पोक्सो एक्ट के तहत दोषी व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए मेघालय में दुष्कर्म पीड़िता का टू फिंगर टेस्ट करने पर नाराजगी जाहिर की थी, पोक्सो एक्ट के दोषी ने यह दावा किया था कि पीड़िता का टू फिंगर टेस्ट किया गया था, हालांकि.... इस मामले में मेघालय सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दिया है कि राज्य में टू फिंगर टेस्ट बैन है.
दरअसल.... कोई पीड़िता सेक्सुअली एक्टिव है या नहीं, यह जानने के लिए किया जानेवाला.... टू फिंगर टेस्ट इसलिए अवैज्ञानिक है कि- यह जरूरी नहीं है कि हाइमन का फटना केवल सेक्युसली एक्टिव होने की वजह से ही हो, खेलकूद, घुड़सवारी, साइकिल चलाना आदि के कारण भी ऐसी स्थिति बन सकती है.
टू फिंगर टेस्ट के मामले में सख्त कदम उठाने की जरूरत है!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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