विडंबना कहें या दुर्भाग्य बड़े-बड़े नामचीन माने जाने वाले बड़ी-बड़ी डिग्री धारी डाक्टर इस विषम परिस्थितियों में भी, जहां मानव जीवन घनघोर संकट में है. वहां कोरोना तो छोड़िए सामान्य बीमारियों का इलाज करने से कतरा रहा रहे हैं. और कर भी रहे तो आरटीपीसीआर टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट मांगते नहीं अघाते. जो आने में तीन से चार दिन लग जाते हैं. इस बात यह दंत कथित ईश्वर रूपी चिकित्सक भी भलीभांति जानते हैं. बावजूद बीमारों को परिवार के साथ रोता बिलखते मरने के लिए छोड़ देते हैं. दुर्दशा में लाचारों ने बिन कोरोना उपचार के अभाव में जान गवां दी. इतने पर भी कलयुगी भगवान कहें या दानव अपने कर्तव्य से मुंह फेर रहे हैं. फिर! इनकी लंबी-लंबी डिग्री किस काम की, जो विपदा में इंसान के काम ना आऐ. हां! काम आएगी भी कैसे इनका पेशा व्यवसाय जो बन चुका. खौफजदा जिदंगी, मौजजदा बेगर्द वैध ये कहां की सेवा है. आखिर! कोरोना काल में उपचार से परहेज़ क्यों? इसका तो इलाज ढूंढ़ना ही होगा. अब! तो भला इसी में है की महामारी के बाद इन तथाकथितों से दूर से ही राम-राम! की जाऐ. इनमें अब भी! जरा सी भी! इंसानियत बची हो तो मरीजों और गंभीरो का इलाज कर अपना फर्ज निभाऐ, वरना आने वाली पीढ़ियां इन्हें कोसते नहीं अघाऐंगी. येही वक्त की जरूरत और सच्ची मानवता है. ग्लानि, बेवजह इन चंद बेपरवाह डाक्टरों के चक्कर में चिकित्सकीय जैसा पवित्र काज शर्मसार होगा. जिसके लिए इन्हें कदापि माफ नहीं किया जाएगा. खैर! इनसे भले तो गांव और गलियों के बदकिस्मती से झोला छाप कहें जाने वाले डाक्टर जो मुसिबत में भी फरिश्ते बनकर जी जान से जिदंगी बचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. लानत! है ऐसे मौकापरस्त चिकित्सकों पर जो मूल धर्म भूलकर जिंदगियां नहीं बचा पा रहें हैं. वीभत्स! यह जानते हुए कि इस समय कोरोना के प्रकोप से देश ही नहीं अपितु सारा विश्व जूझ रहा है वहां लापरवाह चिकित्सकों की नाफरमानी मानव दोषी और राष्ट्र विरोधी कृत्य से कम नहीं है. इसकी सजा तो इन्हें हर हाल में मिलनी चाहिए. लिहाजा ऐसे बेगर्जो की उदासीनता और हठधर्मिता के मद्देनजर इनकी लाइसेंस ही फ़ौरी तौर पर रद्द कर देना ही वक्त की नजाकत होगी. या सरकारी फरमान सुना कर काम पर लगा देना चाहिए. बेहतरीन, दूसरी ओर इन्हीं के कुल के दूसरे डाक्टर और पैरामेडिकल समेत पूरा अमला कोरोना वायरस का चारों पहर मुकाबला कर आमजन की बेपनाह सेवा में प्राणपण से जुटा हुआ हैं. जिनकी जितनी भी तारीफ की जाए उतनी कम होगी. सही मायनों में ऐसे कोरोना योद्धाओं को बारंबार प्रणाम करने का मन करता है. वाकई में यह सच्चे देशभक्त और मानव रक्षक हैं. इन्हीं के सांगोपांग समर्पण की वजह से आज जन-जीवन कोरोना के आगोश से मुक्त होकर स्वछंद मन से कह रहा है. जान है तो जहान है. मेरा डाक्टर, मेरा भगवान हैं. इसीलिए मेरा हिंदुस्तान महान हैं.