प्रदीप द्विवेदी. पेट्रोल-डीजल के बढ़ते रेट को लेकर जैसे तर्क-कुतर्क किए जा रहे हैं और पहले की सरकारों पर निशाना साधा जा रहा है, उससे कुछ हासिल नहीं होगा, यह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को तो समझ में आ गया है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि- क्या पीएम मोदी यह मानेंगे?
खबर है कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि- यह अफ़सोसनाक मुद्दा है और कीमतें में कमी के अलावा कोई भी जवाब लोगों को संतुष्ट नहीं कर सकता. केंद्र और राज्य दोनों को उपभोक्ताओं के लिए उचित स्तर पर खुदरा ईंधन मूल्य में कमी लाने के लिए बात करनी चाहिए.
चेन्नई में वित्त मंत्री ने कहा कि उत्पादन का जो अनुमान लगाया था, वह भी नीचे आने की आशंका है, जो फिर से चिंता बढ़ा रहा है. तेल के दाम पर सरकार का नियंत्रण नहीं है. इसे तकनीकी तौर पर मुक्त कर दिया गया है, तेल कंपनियां कच्चा तेल आयात करती हैं, रिफाइन करती हैं और बेचती हैं.
उल्लेखनीय है कि विपक्ष पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम को लेकर केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर है.
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए और कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों से आमजन त्रस्त है. पिछले 11 दिनों से लगातार दाम बढ़ रहे हैं. यह मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों का नतीजा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें फिलहाल यूपीए के समय से आधी हैं, लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमतें अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई हैं.
मोदी सरकार पेट्रोल पर 32.90 रुपये एवं डीजल पर 31.80 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लगाती है, जबकि 2014 में यूपीए सरकार के समय पेट्रोल पर सिर्फ 9.20 रुपये एवं डीजल पर महज 3.46 रुपये एक्साइज ड्यूटी थी. मोदी सरकार को आमजन के हित में अविलंब एक्साइज ड्यूटी घटानी चाहिए.
मोदी सरकार ने राज्यों के हिस्से वाली बेसिक एक्साइज ड्यूटी को लगातार घटाया है और अपना खजाना भरने के लिए केवल केन्द्र के हिस्से वाली एडिशनल एक्साइज ड्यूटी एवं स्पेशल एक्साइज ड्यूटी को लगातार बढ़ाया है. इससे अपने आर्थिक संसाधन जुटाने के लिए राज्य सरकारों को वैट बढ़ाना पड़ रहा है.
सीएम गहलोत का कहना है कि कोविड के कारण प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है एवं राज्य का राजस्व घटा है, लेकिन आमजन को राहत देने के लिए प्रदेश सरकार ने पिछले महीने ही वैट में 2 प्रतिशत की कटौती की है. मोदी सरकार ऐसी कोई राहत देने की बजाय पेट्रोल-डीजल की कीमतें रोज बढ़ा रही है.
कुछ लोग अफ़वाह फैलाते हैं कि राजस्थान सरकार पेट्रोल पर सबसे अधिक टैक्स लगाती है, इसलिए यहां कीमतें ज्यादा हैं. भाजपा शासित मध्य प्रदेश में पेट्रोल पर राजस्थान से ज्यादा टैक्स लगता है, इसीलिए जयपुर में पेट्रोल की कीमत भोपाल से कम है.
बहरहाल, केन्द्र सरकार की चुप्पी से लगता नहीं है कि पेट्रोल-डीजल के भाव में कोई उल्लेखनीय कमी होगी. शायद, इस मुद्दे पर राहत किसी बड़े चुनाव से कुछ माह पहले ही मिल पाएगी!
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-प्रदीप द्विवेदी: पेट्रोल शतक पर बीजेपी सांसद का सवाल, कौन देगा जवाब?
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