एमपी हाईकोर्ट का आदेश: 90 दिन की पैरोल पर छोड़े जाए सजायाफ्ता बंदी

एमपी हाईकोर्ट का आदेश: 90 दिन की पैरोल पर छोड़े जाए सजायाफ्ता बंदी

प्रेषित समय :16:00:16 PM / Sat, May 15th, 2021

पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश की जेलों में सजायाफ्ता बंदियों को 90 दिन की पेरोल पर छोडऩे के आदेश हाईकोर्ट ने दिए है, कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में बंदियों को संक्रमण से बचाने के लिए हाईकोर्ट ने बड़ा निर्णय लिया है, हाईकोर्ट ने कहा कि जेलों में 30982 विचाराधीन बंदी है, कोरोना संकट के बीच जेल में रहना खतरनाक साबित हो सकता है, जमानत बांड भरवाकर उन्हे पैरोल पर छोड़ा जाए. 

                             मध्यप्रदेश की 131 जेल में 28675 कैदियों को रखने की क्षमता है, लेकिन वर्तमान में 49471 कैदी बंद है, ऐसे हालात उस वक्त है जब 4500 कैदी पैरोल पर रिहा किए गए है, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि सजायाफ्ता कैदियों के लिए जेल अधिकारी आकस्मिक पैरोल देने पर विचार करे, यह पैरोल कम से कम 90 दिन की होना चाहिए, इसमें कोर्ट ने अलग-अलग कैदियों के लिए आदेश जारी किया है, जिसमें 60 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष कैदी, सभी महिला कैदी जिनकी उम्र 45 वर्ष से अधिक हो, वे महिला कैदी जिनके बच्चे है या फिर वे महिला जो गर्भवती है, गंभीर बीमारी से ग्रसित बंदी.  

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी है कि जेलों में बंद विचाराधीन बंदियों को पैरोल के लिए आवेदन देना होगा, फिर जेल अधीक्षक आवेदनों को जिला अदालत तक पहुंचाएगें, इसके बाद ही उन्हे अस्थाई जमानत मिल पाएगी, हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि पूर्व में अंतरिक जमानत मिलने वाले बंदियों ने इस दौरान अपराध किया है उन्हे जमानत का लाभ नहीं मिलेगा.  इसी तरह गैर जमानीत वारंट वाले बंदियों को पहले सरेंडर करना होगा, इसके बाद उनके पैरोल पर विचार किया जाएगउ, पैरोल पर छोड़े जाने के बाद जो कैदी जेल में बचेगें उनकी स्क्रीनिंग की जाएगी, यदि किसी कैदी में कोरोना के लक्षण पाए जाते है तो उसका आरटीपीसीआर टेस्ट होगा, उसे आईसोलेट किया जाएगा, नए कैदियों को आरटीपीसीआ टेस्ट कराने के लिए बाद शुरुआत के 15 दिन तक आईसोलेट रखा जाएगा, कोरोना संक्रमित होने पर जेल प्रशासन को उसका इलाज कराना होगा. 

जुर्माना माफ करके रिहा करो-

हाईकोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि यदि कोई बंदी जेल में सिर्फ इसलिए निरुद्ध है कि उसने जुर्माना की राशि अदा नहीं है तो उसे राज्य सरकार जुर्माना माफ कर रिहा करें, इसके बाद ही जेल में बंद कैदियों का प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण कराया जाए, हाईकोर्ट का यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की एक याचिका के आदेश के आधार पर है. 

पहले भी मिली है पैरोल-

गौरतलब है कि पिछले वर्ष भी 6500 बंदियों को जेल विभाग ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए जमानत पर छोड़ा था, इसमें पैरोल पाने वाले 3800 बंदी थे, फिर 60-60 दिन के लिए पैरोल की अवधि बढ़ाई गई थी, नवम्बर माह में आखिरी बाद 60 दिन के लिए बढ़ाया गया था, जनवरी माह में पैरोल पर छूटे सभी बंदी वापस जेल पहुंच चुके है, जो नहीं पहुंचे उनके खिलाफ विभिन्न थानों में एफआईआर दर्ज कराई गई है.  

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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