नई दिल्ली. कोरोना वायरस को हाल के इतिहास में सबसे अधिक गंभीर चुनौती करार देते हुए पांच देशों के संगठन ब्रिक्स ने मंगलवार को इससे निपटने के तौर तरीकों पर चर्चा की और एक अहम कदम के तहत कोविड-19 के टीके पर अस्थाई रूप से पेटेंट हटाने के भारत और दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव का समर्थन किया. अपने उद्घाटन भाषण में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीकी देश) एक समुचित, समावेशी एवं बहुध्रुवीय अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए प्रयासरत है, जो सभी सभी देशों की समान संप्रभुता को मान्यता देता हो और उनकी क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता हो.
साल 2021 के लिए ब्रिक्स का अध्यक्ष होने के नाते भारत ने इस बैठक की मेजबानी की, जिसमें चीन के विदेश मंत्री वांग यी, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, दक्षिण अफ्रीका के अंतरराष्ट्रीय संबंध मंत्री ग्रेस नालेदी मंडिसा पांडोर और ब्राजील के विदेश मंत्री कार्लोस अल्बर्टो फ्रांको ने हिस्सा लिया. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसकी अध्यक्षता की. क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की जरूरत संबंधी जयशंकर का बयान पूर्वी लद्दाख में भारत एवं चीन के बीच सीमा गतिरोध की पृष्ठभूमि में आया. बाद में रूस के विदेश मंत्री लावरोव ने भी मॉस्को में संवाददाता सम्मेलन में ऐसी ही टिप्पणी की.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-क्या ज्यादा असरकारक होगा दो अलग-अलग वैक्सीन का डोज? भारत में जल्द शुरू होगा परीक्षण
मोदी सरकार के 7 साल पूरे, बीजेपी अध्यक्ष नड्डा बोले- 13 कंपनियों को वैक्सीन बनाने की इजाजत दी गई
कांग्रेस का बड़ा आरोप: बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या और उनके अंकल ने वैक्सीन के जरिए बनाया पैसा
कोरोना वैक्सीनेशन अभियान में पत्रकारों ने दिया महत्वपूर्ण योगदान: प्रदीप दुबे
जून से देश में ही होने लगेगा कोवैक्सीन के लिए जरूरी दवाओं का उत्पादन, जुलाई में मिलेगी पहली खेप
Leave a Reply