तालिबान के बढ़ते कदम से अमेरिका बदल सकता है अफगानिस्तान से फौज वापसी का इरादा

तालिबान के बढ़ते कदम से अमेरिका बदल सकता है अफगानिस्तान से फौज वापसी का इरादा

प्रेषित समय :17:11:41 PM / Sat, Jul 17th, 2021

काबुल. तालिबान जल्द ही अफगानिस्तान के ज्यादातर इलाकों पर अपना कब्जा जमा लेगा. दरअसल, अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति उससे कहीं ज्यादा तेजी से बिगड़ रही है, जिसका अनुमान पहले लगाया गया था. ये बातें अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के एक ताजा आकलन में कही गई हैं. इसके मुताबिक राजधानी काबुल पर भी तालिबान का जल्द कब्जा होने जाने का खतरा मंडरा रहा है.

अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन ने खुफिया सूत्रों से हवाले से दी एक खबर में कहा है कि काबुल के बाहरी इलाकों में तालिबान के जल्द काबिज होने का अंदेशा पैदा हो गया है, लेकिन काबुल शहर पर तालिबान का कब्जा होने में अभी कुछ वक्त लग सकता है. इसकी वजह तालिबान का यह भय है कि अगर उसने यहां हमला किया, तो अमेरिका उसके ठिकानों पर बमबारी कर सकता है. इसके अलावा काबुल की आबादी मोटे तौर पर तालिबान के खिलाफ है. इसलिए वहां तालिबान को उस तरह का समर्थन नहीं मिलेगा, जैसा देश के दूसरे कई हिस्सों में मिला है.

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का आकलन यह है कि तालिबान की फिलहाल रणनीति अपनी ऐसी हैसियत बनाने की है, जिससे वे जब चाहें अफगान सरकार के आयात सप्लाई के रास्तों को जाम कर दें. उसके बाद मुमकिन है कि तालिबान कुछ समय तक इंतजार करे. वह काबुल पर हमले के पहले उस समय का इंतजार करना चाहेगा, जब उसे अपने सफल होने की संभावना काफी मजबूत दिखेगी. अमेरिकी आकलन के मुताबिक अगर तालिबान ने काबुल के चारों तरफ घेरा डाल दिया, तो बहुत से अफगान सैनिक उसके आगे समर्पण करने को मजबूर हो जाएंगे.

अफगानिस्तान के कई शहरों और प्रांतों में अफगान सैनिक तालिबान के आगे हथियार डाल चुके हैं. वैसे सीएनएन के मुताबिक अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के एक हिस्से की राय यह है कि अभी तालिबान काबुल पर कब्जा करने में सक्षम नहीं है.

अफगानिस्तान में पैदा हो रहे नए हालात को लेकर अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडन के आलोचकों की आवाज तेज हो गई है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की वापसी की तुलना 1975 में वियतनाम से अमेरिका की पराजय से की जाएगी और इससे अमेरिकी सुरक्षा बलों का मनोबल गिर सकता है. विश्लेषकों का कहना है कि अगर काबुल पर तालिबान के कब्जे का खतरा जल्द गंभीर हुआ, तो बाइडन प्रशासन पर अमेरिकी फौज की वापसी की योजना पर फिर से विचार करने के लिए दबाव बढ़ जाएगा. वैसे अब इसमें किसी को शक नहीं बचा है कि तालिबान खुद को अफगानिस्तान की प्रमुख राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित करने की महत्वाकांक्षा लिए हुए है.

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने इसी हफ्ते कहा- यह साफ है कि तालिबान पूरे देश पर शासन करना चाहता है. तालिबान जो कर रहा है उससे यह साफ हो गया है कि तालिबान की राय में देश में लड़ाई खत्म करने का तरीका सैनिक समाधान ही है. सीएनएन के मुताबिक अमेरिकी खुफिया एजेंसियां अफगानिस्तान की हालत पर सख्त निगाह बनाए हुए हैं.

खुफिया एजेंसियां, सैनिक कमांडर और अमेरिकी कांग्रेस (संसद) के कई सदस्य यह चेतावनी दे चुके हैं कि बिना अमेरिकी मदद के मौजूदा अफगान सरकार तालिबान का मुकाबला नहीं कर पाएगी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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