कोरोना महामारी में जमकर कमाई, रेलवे ने तत्काल, प्रीमियम तत्काल टिकटों से कमाए 511 करोड़ रुपये

कोरोना महामारी में जमकर कमाई, रेलवे ने तत्काल, प्रीमियम तत्काल टिकटों से कमाए 511 करोड़ रुपये

प्रेषित समय :18:06:06 PM / Sun, Jan 2nd, 2022

नई दिल्ली. रेलवे ने 2020-21 के दौरान तत्काल टिकट शुल्क से 403 करोड़ रुपये, प्रीमियम तत्काल टिकटों से अतिरिक्त 119 करोड़ रुपये और डायनामिक किराये से 511 करोड़ रुपये कमाये जबकि कोरोना वायरस महामारी के चलते वर्ष के अधिकांश समय इसका अधिकांश संचालन निलंबित रहा. यह जानकारी सूचना के अधिकार (आरटीआई) जवाब से मिली है. रेलवे में डायनामिक किराया प्रणाली वह प्रणाली है जिसमें किराया मांग के मुताबिक तय होता है. यह किराया प्रणाली ट्रेन, राजधानी, शताब्दी और दूरंतो जैसी ट्रेनों में लागू है. इन तीनों श्रेणियों के यात्री आमतौर पर अंतिम समय में यात्रा करने वाले होते हैं जो प्रीमियम शुल्क का भुगतान करके इन सेवाओं का लाभ उठाते हैं.

मध्य प्रदेश के रहने वाले चंद्रशेखर गौर द्वारा दायर एक आरटीआई के जवाब में, रेलवे ने कहा कि उसने वित्तीय वर्ष 2021-22 में सितंबर तक डायनामिक किराये से 240 करोड़ रुपये, तत्काल टिकट से 353 करोड़ रुपये और प्रीमियम तत्काल शुल्क से 89 करोड़ रुपये कमाए.

वित्त वर्ष 2019-20 में कमाए थे इतने करोड़

वित्तीय वर्ष 2019-20 में, जब ट्रेन संचालन पर कोई प्रतिबंध नहीं था, रेलवे ने डायनामिक किराए से 1,313 करोड़ रुपये, तत्काल टिकट से 1,669 करोड़ रुपये और प्रीमियम तत्काल टिकट से 603 करोड़ रुपये कमाए.

रेल मंत्रालय का यह आंकड़ा रेलवे संबंधी संसद की स्थायी समिति की टिप्पणी के एक महीने बाद आया है. समिति ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि तत्काल टिकट पर लगाए गए शुल्क कुछ अनुचित हैं और विशेष रूप से उन यात्रियों पर बड़ा बोझ डालते हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और अपने परिजनों एवं रिश्तेदारों से मिलने के लिए तत्काल यात्रा करने के लिए मजबूर होते हैं. समिति की इच्छा थी कि मंत्रालय यात्रा की गई दूरी के लिए आनुपातिक किराए के वास्ते उपाय करे.

कबाड़ बेचकर कमाए 402.5 करोड़ रुपये

उत्तर रेलवे ने स्क्रैप की बिक्री में रिकॉर्ड बनाते हुए, इससे 402.51 करोड़ रुपये की कमाई की है. यह पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि में कमाए गए 208.12 करोड़ रुपये की बिक्री से 93.40 फीसदी ज्यादा है. इस प्रकार, उत्तर रेलवे ने सितंबर 2021 में 200 करोड़ रुपये, अक्टूबर 2021 में 300 करोड़ रुपये और दिसंबर 2021 में 400 करोड़ रुपये के स्क्रैप बिक्री आंकड़ों को पार करते हुए सभी क्षेत्रीय रेलों और उत्पादन इकाईयों में पहला स्थान प्राप्त किया है.

आपको बता दें कि उत्तर रेलवे ने नवंबर 2021 में रेलवे बोर्ड द्वारा दिए गए 370 करोड़ रुपये के स्क्रैप बिक्री लक्ष्य को भी हासिल कर लिया है. उत्तर रेलवे अन्य क्षेत्रीय रेलों और उत्पादन इकाईयों की तुलना में सबसे आगे है. स्क्रैप, पीएससी स्लीपरों, जो उत्तर रेलवे के पास बड़ी मात्रा में जमा हैं, इनका निपटान किया जा रहा है ताकि राजस्व अर्जित करने के साथ-साथ रेल गतिविधियों के लिए रेल भूमि खाली की जा सके.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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