दिल्ली. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया के घर के बाहर बीजेपी ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान बीजेपी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने मनीष सिसोदिया की बर्खास्तगी की मांग करते हुए कहा कि हम लोग यहां सड़क पर हैं. केजरीवाल की कौन सी मजबूरी है जो शराब माफिया को फायदा पहुंचाने के लिए बिना कैबिनेट अप्रूवल के पैसा दे देते हैं. ये लोग शराब माफिया को हज़ारों करोड़ का फायदा पहुंचा रहे हैं. मनीष सिसोदिया को बर्खास्त करना चाहिए.
दरअसल उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने आबकारी नीति-2021-22 में कथित नियमों और प्रक्रिया का उल्लंघन करने के आरोपों की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश कर आदमी पाटीज़् (आप) सरकार के सामने नई मुश्किल खड़ी कर दी है. दिल्ली सरकार के आबकारी मंत्री होने के नाते सिसोदिया की भूमिका जांच के दायरे में आ गई है. उन्होंने भी घटनाक्रम पर जवाब देते हुए कहा कि 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केजरीवाल से भयभीत हैं.Ó सिसोदिया ने कहा कि आप नेताओं पर और 'फजीज़् मुकदमेÓ दजज़् होंगे, क्योंकि पाटीज़् का प्रभाव पूरे देश में बढ़ रहा है.
वहीं सूत्रों ने बताया कि उपराज्यपाल को शीर्ष राजनीतिक स्तर पर वित्तीय लेन-देन के ठोस संकेत मिले हैं, जिसमें आबकारी मंत्री ने वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर प्रमुख फैसले लिए, उन्हें लागू किया और आबकारी नीति अधिसूचित की, जिसके व्यापक वित्तीय असर हैं.
सूत्रों ने कहा कि आबकारी मंत्री ने निविदाएं दिए जाने के बावजूद शराब ठेकों के लाइसेंसधारियों को अनुचित वित्तीय लाभ दिए, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ. उन्होंने दावा किया कि आबकारी विभाग ने कोविड-19 महामारी की विशेष स्थिति के तहत 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी. उसने एयरपोर्ट जोन के लाइसेंस के सबसे कम बोली लगाने वाले को 30 करोड़ रुपये की बयाना राशि भी वापस कर दी, क्योंकि वह हवाईअड्डा प्राधिकारियों से अनापत्ति प्रमाणपत्र हासिल नहीं कर सका.
सूत्रों ने बताया कि यह दिल्ली आबकारी नियमावली-2010 के नियम 48(11)(बी) का स्पष्ट उल्लंघन है, क्योंकि इसमें स्पष्ट किया गया है कि सफल बोली लगाने वाले को लाइसेंस के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी करनी होगी और ऐसा नहीं किए जाने पर उसके द्वारा जमा जमानत राशि सरकार जब्त कर लेगी.
सूत्रों ने दावा किया कि आबकारी विभाग ने आठ नवंबर 2021 को आदेश जारी कर विदेशी शराब के दाम तय करने के फार्मूले को संशोधित कर दिया और बिना अधिकृत प्राधिकार की मंजूरी के बीयर के प्रति केस पर 50 रुपये के लगने वाले आयात शुल्क को हटा दिया. इससे यह शराब खुदरा विक्रेताओं के लिए सस्ती हो गई, लेकिन सरकारी खजाने को राजस्व का नुकसान हुआ.
बताया जा रहा है कि मनीष सिसोदिया द्वारा लिए गए कुछ फैसलों पर तत्कालीन उपराज्यपाल ने रोक लगा दी थी, क्योंकि उन्हें दिल्ली मंत्रिमंडल की मंजूरी के बिना लिया गया था. सूत्रों ने दावा किया है कि पूर्व में लिए गए अवैध फैसलों को हाल में 14 जुलाई को मंत्रिमंडल की मुहर लगाकर वैध बनाने का प्रयास किया गया, जो अपने आप में नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन है.
भाजपा ने सीबीआई जांच की सिफारिश का स्वागत किया है. केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की नेता मीनाक्षी लेखी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने नियमों व प्रक्रिया का उल्लंघन कर शराब कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए व्यवसायी समूहन को बढ़ावा दिया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-केजरीवाल का ऐलान: गुजरात में देंगे 300 यूनिट फ्री बिजली, कहा- ये रेवड़ी नहीं भगवान का प्रसाद है
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